भारत में रेलगाड़ियों के परिचालन ने भले ही ऐतिहासिक रूप से जातियों को तोड़ने में एक बड़ी भूमिका निभाई थी, लेकिन इसकी नौकरियों में हमेशा उंची जाति का वर्चस्व रहा। आजाद भारत में रेल मंत्रालय की कमान विभिन्न समुदायों के लोगों ने संभाली, जिनमें कुछ पिछड़े और दलित भी थे, लेकिन महकमे के मलाईदार पदों पर द्विज समुदाय का वर्चस्व कमोबेश बना रहा। वर्ष 2014 में दिल्ली पर भारतीय जनता पार्टी का राज होने के बाद इस वर्चस्व जबरदस्त बढोत्तरी हुई है। पहले जो खेल गुपचुप खेला जाता था, वह अब यह डंके की चोट पर होने लगा है। इस सरकार के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यक्रमों में हाजिरी लगाने वाले द्विज समुदाय के लोगों को रेलवे में ‘कमाऊ’ पदों पर बिठाया गया। हालत यह है कि आरएसएस, बजरंग दल और भाजपा से जुडे दलित-बहुजन तबकों के अधिकारी भी भेदभाव की शिकायत कर रहे हैं। उनका कहना है कि संघ में जाति के आधार पर आवाज उठाने की हिम्मत दलित-पिछड़े नहीं कर पा रहे हैं। न ही सामाजिक न्याय की बात करने वाली पार्टियां इनसे कोई सरोकार रखती हैं। इसका लाभ द्विज समुदायों के अधिकारी उठा रहे हैं। बहरहाल, पिछले पांच वर्षों में भारतीय रेल महकमा आरएसएस से जुड़े अधिकारियों, और उनमें भी द्विज अधिकारियों के भ्रष्टाचार का अभयारण्य बन गया है।
इसका एक उदाहरण उत्तर-मध्य रेलवे का इलाहाबाद मंडल है। इस रेल मंडल में सभी शीर्ष अधिकारी द्विज हैं। इनमें भी ब्राह्मण सबसे अधिक हैं। जाति की यह अमरबेल केवल शीर्ष तक सीमित नहीं है बल्कि इसकी फांस नीचे तक है।
शीर्ष पर ब्राह्मण ही ब्राह्मण
उत्तर-मध्य रेलवे के डीआरएम (मंडल रेल प्रबंधक) अमिताभ कुमार हैं। विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक ये सवर्ण हैं। इस डिवीजन में दूसरे शीर्ष अधिकारी सीसीएम यानी चीफ कामर्शियल मैनेजर एम. एन. ओझा हैं और इनकी जाति ब्राह्मण है। चलिए, भारतीय रेल के संगठनात्मक ढांचे में एक पायदान और नीचे उतरते हैं। इलाहाबाद डिवीजन में सीनियर डीसीएम-1 (वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक) के पद पर नवीन दीक्षित हैं और सीनियर डीसीएम-2 (वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक) के पद पर संचित त्यागी हैं। ये दोनों भी ब्राह्मण हैं। इतना ही नहीं, इस डिवीजन में एसीएम-1 (सहायक वाणिज्य प्रबंधक) और एसीएम-2 (सहायक वाणिज्य प्रबंधक) के पद पर क्रमश: अनूप कुमार (कायस्थ) और पंकज त्रिपाठी (ब्राह्मण) पदस्थापित हैं।
उत्तर-मध्य रेलवे के तहत कानपुर जंक्शन का स्थान अहम है। यह इसलिए भी कि कानपुर पहले औद्योगिक शहर हुआ करता था और इस कारण यहां सामान की ढुलाई को लेकर विशेष उपाय किए गए थे। वर्तमान में भी यहां कुछ उद्योग सांस ले पा रहे हैं, लिहाजा इसकी प्रासंगिकता बरकरार है। यहां का संचालन इलाहाबाद में बैठे उपरोक्त शीर्ष पदाधिकारियों के इशारे पर होता है। मसलन, उप मुख्य यातायात प्रबंधक के पद पर जिस पदाधिकारी की तैनाती है, उनका नाम जितेंद्र तिवारी है और ये भी ब्राह्मण ही हैं। इनके जिम्मे यहां चार सेक्शन हैं। इनमें आरक्षण, बुकिंग, पार्सल और गुड्स शामिल हैं। इन सेक्शनों की जवाबदेही किनकी होगी, यह तय जितेंद्र तिवारी करते हैं।

अब जाति का खेल देखें। गुड्स सेक्शन (सीपीसी) के मुख्य माल अधीक्षक सुशील कुमार अवस्थी हैं जो कि जाति के ब्राह्मण हैं। इसी प्रकार पार्सल सेक्शन के मुख्य पार्सल पर्यवेक्षक बी. के. सिंह हैं। ये ठाकुर बिरादरी से आते हैं।
कानपुर जंक्शन के आसपास के स्टेशनों जहां की जिम्मेवारी जितेंद्र तिवारी की है, वहां भी सवर्ण (अधिकांश ब्राह्मण) अधिकारी तैनात हैं। उदाहरण के लिए गाेविंदपुरी स्टेशन पर मुख्य आरक्षण पर्यवेक्षक किरण शुक्ला हैं तो बुकिंग सेक्शन की जिम्मेदारी (मुख्य बुकिंग पर्यवेक्षक) संतोष शर्मा के पास है। जाहिर तौर पर दोनों ब्राह्मण हैं। इसी प्रकार पनकी स्टेशन पर बुकिंग की जवाबदेही ब्राह्मण जाति के राकेश बनर्जी की है।
उत्तर-मध्य रेलवे में ब्राह्मणों का वर्चस्व
पद | नाम | जाति |
---|---|---|
मंडल रेल प्रबंधक, इलाहाबाद | अमिताभ कुमार | सवर्ण* |
चीफ कामर्शियल मैनेजर | एम. एन. ओझा | ब्राह्मण |
वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक - 1 | नवीन दीक्षित | ब्राह्मण |
वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक - 2 | संचित त्यागी | ब्राह्मण |
सहायक वाणिज्य प्रबंधक - 1 | अनूप कुमार | कायस्थ |
सहायक वाणिज्य प्रबंधक - 2 | पंकज त्रिपाठी | ब्राह्मण |
उप मुख्य यातायात प्रबंधक | जितेंद्र तिवारी | ब्राह्मण |
मुख्य माल अधीक्षक, कानपुर | सुशील कुमार अवस्थी | ब्राह्मण |
मुख्य पार्सल पर्यवेक्षक, कानपुर | बी. के. सिंह | ठाकुर (राजपूत) |
मुख्य आरक्षण पर्यवेक्षक, गोविंदपुरी स्टेशन | किरण शुक्ला | ब्राह्मण |
मुख्य बुकिंग पर्यवेक्षक, गोविंदपुरी स्टेशन | संतोष शर्मा | ब्राह्मण |
मुख्य बुकिंग पर्यवेक्षक, पनकी स्टेशन | राकेश बनर्जी | बंगाली ब्राह्मण |
शीर्ष पर ब्राह्मणों का होना संयोग : नवीन दीक्षित, वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक
उत्तर-मध्य रेलवे के इलाहाबाद डिवीजन में शीर्ष पदों पर सवर्ण (अधिकांश ब्राह्म्ण) क्यों हैं, यह पूछने पर वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक नवीन दीक्षित ने फारवर्ड प्रेस को दूरभाष पर बताया कि यह संयोग मात्र है। झांसी और आगरा डिवीजन में ऐसा नहीं है। लेकिन यह दुबारा पूछने पर कि इलाहाबाद डिवीजन में ही एक खास जाति के शीर्ष अधिकारी बहुतायत में क्यों हैं, श्री दीक्षित ने बताया कि अब हर आदमी की जाति तो होगी ही। इसमें कुछ भी गलत नहीं है।
जाति का खौफ और पदोन्नति में आरक्षण
केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार के सत्तासीन होने के बाद उत्तर-मध्य रेलवे में सवर्णों का वर्चस्व न केवल मजबूत हुआ है बल्कि दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्गों के कर्मियों/अधिकारियों को दहशत में रखा जाने लगा है। इसे आप ऐसे भी समझें कि पदोन्नति में आरक्षण क्यों जरूरी है और किन कारणों से सवर्ण इसका विरोध करते हैं।
(कॉपी संपादन : सिद्धार्थ)
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