कुलदीप नैयर पत्रकारिता सम्मान-2018 मराठी पत्रकार निखिल वागले को दिया जाएगा। सम्मान समारोह 20 अप्रैल 2019 को नई दिल्ली के कंस्टीच्यूशन क्लब के स्पीकर सभागार में होगा। यह सम्मान गांधी शांति प्रतिष्ठान नई दिल्ली के द्वारा दिया जाता है।
पहला पुरस्कार वर्ष 2017 में एनडीटीवी के कार्यकारी संपादक रवीश कुमार को दिया गया था। पुरस्कार की संचालन समिति में आशीष नंदी, नीरजा चौधरी, संजय पारीख, ओम थानवी, रिजवान क़ैसर, विजय प्रताप, कुमार प्रशांत, जयशंकर गुप्त, प्रमोद रंजन, व अनिल सिन्हा हैं।
पुरस्कार के लिए श्री वागले के नाम की घोषणा करते हुए गांधी शांति प्रतिष्ठान के द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि “मराठी भाषा में महानगर अखबार से शुरू कर श्री निखिल वागले ने कई स्तरों पर मराठी भाषा की पत्रकारिता को प्रभावित किया। फिर, टेलीविजन चैनलों की शोर-शराबे से भरी दुनिया में सत्य की प्रखर प्रस्तुति लेकर वे उतरे तो सरोकारों को सनसनी में और सत्य को पक्षधरता में बदल देने की कायर चतुराई को पीछे हटाया और तथ्य और विवेक की शक्ति को रेखांकित किया। मराठी पत्रकारिता श्री वागले ने उसकी सहज मानवीय गरिमा लौटाई। टीवी अपने कार्यक्रमों के जरिए उन्होंने जो विश्वसनीयता हासिल की है, उसने टीवी पत्रकारिता को वह गहराई व गरिमा दी है जिसके अभाव में वह सत्ता और संपत्ति का खिलौना बनकर रह जाती है।”

सम्मान के संचालन समिति के अध्यक्ष आशीष नंदी ने श्री वागले के चयन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि “श्री वागले सामाजिक मुद्दों के प्रति हमेशा प्रतिबद्ध रहे हैं और उन्होंने अभिव्यक्ति और प्रेस की आजादी के लिए संघर्ष किया है।”
संचालन समिति के सदस्य व फारवर्ड प्रेस के प्रबंध संपादक प्रमोद रंजन ने श्री वागले के चयन पर हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि “श्री वागले संभवत: भारतीय भाषाओं की पत्रकारिता में सबसे कम उम्र में संपादक बने। वे प्रयोगधर्मी रहे हैं और हर परिस्थिति में उन्होंने जनता के सवालों को अपनी पत्रकारिता का आधार बनाया। वे दक्षिणपंथ के मुखर आलोचक रहे हैं।”
सभी संघर्षशील पत्रकारों को समर्पित यह सम्मान : वागले
वर्ष 2018 का कुलदीप नैयर पत्रकारिता सम्मान दिए जाने के संबंध में निखिल वागले ने फारवर्ड प्रेस से कहा कि वे यह सम्मान भारत के सभी संघर्षशील पत्रकारों को समर्पित करते हैं। उन्होंने कहा, “आज पत्रकार जनता के सवालों को लेकर लगभग हर मोर्चे पर संघर्ष कर रहे हैं। कहीं वे पुलिस की गोलियों का निशाना बन रहे हैं तो कहीं नेताओं के कोपभाजन का शिकार हो रहे हैं। इसके बावजूद पत्रकार काम कर रहे हैं। इसलिए मैं यह सम्मान अपने सभी ऐसे साथियों को समर्पित करता हूं जो अभिव्यक्ति की आजादी के लिए संघर्ष कर रहे हैं।”
कुलदीप नैयर के संबंध में वागले ने कहा कि “जिन गिने-चुने पत्रकारों को पढ़कर मैंने पत्रकारिता को समझा है, उनमें कुलदीप नैयर भी हैं। मुझे याद है वह दिन जब पहली बार मैं उनसे 1993 में तब मिला था जब मुझे और राजदीप सरदेसाई को संस्कृति पुरस्कार दिया गया था। उस समय डॉ. शंकर दयाल शर्मा (उपराष्ट्रपति )हमें सम्मानित कर रहे थे और मंच पर कुलदीप नैयर थे। मैं मानता हूं कि जनता के सवालों को लेकर जो मैंने आजतक किया है, यह उसका ईनाम है। इसके लिए मैं गांधी शांति प्रतिष्ठान और पुरस्कार चयन समिति के सदस्यों के प्रति आभार प्रकट करता हूं।”
बीस साल की उम्र में अखबार के संपादक बने वागले
निखिल वागले का जन्म 23 अप्रैल 1959 को हुआ। सबसे पहले 1977 में पत्रकारिता बतौर फ्रीलांसर शुरू किया और बाद में मुंबई में मराठी दैनिक दिनांक से जुड़े। 1979 में परिस्थितियां ऐसी बनी कि संपादक ने त्यागपत्र दे दिया और वागले महज 20 वर्ष की उम्र में संपादक बने। 1982 में अपने प्रकाशन संस्थान की स्थापना की और अक्षर नामक पत्रिका की शुरूआत की। 1990 में मराठी और हिंदी में महानगर नामक समाचार पत्र निकाला। शिवसेना और बाल ठाकरे की आलोचना के लिए चर्चा में आए। 1991 में शिवसेना समर्थकों ने उनके दफ्तर पर हमला बोला। 1994 में वागले को विधानसभा की अवमानना के आरोप में एक सप्ताह तक जेल में रहना पड़ा। उन पर आरोप था कि उन्होंने विधानसभा द्वारा एक आपराधिक पृष्ठभूमि के विधायक की मृत्यु पर शोक व्यक्त किए जाने पर सवाल उठाया था।
कुलदीप नैयर ने की थी सम्मान की स्थापना
सम्मान की स्थापना प्राख्यात दिवंगत पत्रकार कुलदीप नैयर द्वारा दी गई बीज राशि से की गई थी। यह पहला मौका है जब कुलदीप नैयर की अनुपस्थिति में यह सम्मान समारोह आयोजित होगा। उनका पिछले वर्ष 23 अगस्त 2018 को निधन हो गया था।
(काॅप संपादन : सिद्धार्थ)
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