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मिजोरम : ब्रू शरणार्थियों के सवाल पर रार खत्म, चुनाव बहिष्कार का निर्णय वापस

ब्रू शरणार्थियों और मिजो समुदाय के बीच तनाव के बाद मिजो समुदाय के लोगों ने चुनाव बहिष्कार का निर्णय लिया था। अब सरकार ने कह दिया है कि वह ब्रू शरणार्थियों को वापस लाने के लिए कोई प्रयास नहीं करेगी

पूर्वोत्तर के राज्य मिजोरम में चुनाव आयोग ने राहत की सांस ली है। अब मिजो समुदाय के लोगों ने चुनाव बहिष्कार करने की बात छोड़ दी है। बीते 4 अप्रैल 2019 को मिजो समुदायों के प्रतिनिधियों, मिजोरम सरकार, त्रिपुरा सरकार और चुनाव आयोग के साथ हुई बैठक के बाद यह निर्णय लिया गया है। इसके मुताबिक, ब्रू शरणार्थिियों को त्रिपुरा और मिजोरम की सीमा पर कनमुन इलाके में बने 15 विशेष मतदान केंद्रों पर अपने मताधिकार का प्रयोग करना होगा।

मिजोरम में एकमात्र लोकसभा क्षेत्र मिजोरम है। इसके लिए 11 अप्रैल को मतदान होना है। मिजो समुदाय के लोग ब्रृ शरणार्थियों के सवाल पर विरोध कर रहे थे। उनका कहना था कि ब्रू शरणार्थियों को मतदान का अधिकार वहीं मिलना चाहिए जहां वे रह रहे हैं।

बताते चलें कि मिजोरम में अल्पसंख्यक ब्रू समुदाय के प्रभाव वाले क्षेत्रों में वन सम्पदा पर बहुसंख्यक मिज़ो समुदाय का कब्जा है। इस कारण ब्रू और मिज़ो समुदायों के बीच जनजातीय हिंसा का रूप ले लिया था | ब्रू जनजाति के लोग मिज़ोरम में रेआंग के नाम से जाने जाते हैं जो धार्मिक रूप से न तो ईसाई है और न ही हिन्दू हैं |

वर्ष 1997 में ब्रू और मिज़ो समुदायों के बीच जातीय हिंसा के चलते हजारों ब्रू लोग पड़ोसी राज्य त्रिपुरा में चले गये | वे पिछले 22 वर्षों से कंचनपुर और पानीसागर उपखंडों के 6 राहत शिविरों में रह रहे हैं। इनमें लगभग 35 हज़ार ब्रू शरणार्थी रहते हैं। इनमें लगभग 12 हज़ार पंजीकृत मतदाता हैं।

2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान कनमुन में वोट देने के लिए कतार में खड़े ब्रू शरणार्थी

गौरतलब है कि अगस्त 2018 में ब्रू-शरणार्थियों, मिज़ोरम सरकार, त्रिपुरा सरकार और केंद्र सरकार के बीच ब्रू-शरणार्थियों की पुनर्वापसी को लेकर एक बहुपक्षीय समझौता हुआ था। इसके अंतर्गत ब्रू-शरणार्थियों को कहा गया कि वे 31 दिसम्बर 2018 तक वापस मिज़ोरम चले जाएं। साथ ही यह भी कहा गया कि 1 अक्टूबर 2018 से राहत शिविरों में केन्द्रीय गृह मंत्रालय द्वारा दी जा रही राहत सामग्री की आपूर्ति को बंद कर दिया जाएगा। परंतु, राज्य में नवम्बर 2018 में विधानसभा चुनाव और अब लोकसभा चुनावों को देखते हुए इस समयसीमा को 1 नवम्बर 2019 तक बढ़ा दिया गया हैं।

राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी आशीष कुंदरा का कहना हैं कि कनमुन में विशेष मतदान केन्द्रों कि स्थापना का आदेश चुनाव आयोग ने एक महीना पहले ही दे दिया था और हम इसके लिए तैयारियां कर रहे हैं। उन्हाेंने मिजो समुदाय के लोगों द्वारा चुनाव बहिष्कार की अपील वापस लेने पर प्रसन्नता व्यक्त की है।

(कॉपी संपादन : नवल)


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लेखक के बारे में

सुवालाल जांगु

पूर्वोत्तर भारत के समाज और संस्कृति के अध्येता सुवालाल जांगु मिजोरम विश्वविद्यालय में राजनीति शास्त्र के प्राध्यापक हैं

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