भारतीय समाज पर द्विज संस्कृति के वर्चस्व को चुनौती देने वाले व्यक्तियों की जुबान बंद करने के लिए सत्ता साम-दाम-दंड-भेद सभी तरह के हथकंडे अपनाती रही है। 25 फरवरी 2019 को इसके शिकार बहुजन कार्यकर्ता और पत्रकार उदयन राय हुए । राजधानी पटना के निवासी और बहुजन संस्कृति के लिए आवाज उठाने वाले उदयन राय को 25 फरवरी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। वे पिछले 82 दिनों से वे पटना के फुलवारी कैंप जेल में कैद हैं। पुलिस का कहना है कि उन्हें आतंकवादियों के साथ मिलकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
आइए, सबसे पहले देखते हैं कि उदयन राय कौन हैं? उन्हें वास्तव में क्यों गिरफ्तार किया गया और किस मंशा के तहत उन्हें कानूनी प्रावधानों का खुला उल्लंघन करते हुए जेल में रखा गया है?
बिहार में बहुजनों के सांस्कृतिक संघर्ष के अगुआ रहे हैं उदयन राय
उदयन राय युवा सामाजिक कार्यकर्ता हैं। उनकी पहचान बिहार में बहुजनों के सांस्कृतिक अस्मिता के प्रतीक महिषासुर महोत्सव के सफल आयोजक की रही है। उनके नेतृत्व में पिछले सात वर्षों से हाजीपुर और मुजफ्फरपुर सहित कई जिलों के ग्रामीण द्विजवादी परंपराओं के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं। वे अर्जक संघ से भी जुड़े रहे हैं। यह संगठन बिहार और उत्तर प्रदेश में द्विज परंपराओं के खिलाफ दलित-बहुजनों को लंबे समय से जागरूक बना रहा है।

उदयन राय 1972 में जगदेव प्रसाद और रामस्वरूप वर्मा द्वारा संयुक्त रूप से गठित शोषित समाज दल के भी सक्रिय सदस्य रहे हैं। श्री राय के संबंध में दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष रघुनीराम शास्त्री का कहना है कि वे दल के एक जिम्मेदार सदस्य रहे हैं। दल के विभिन्न गतिविधियों में वह आगे बढ़कर काम करते हैं। वे दलित-बहुजनों के सवालों को प्रखरता से रखते हैं।
महिषासुर पर सवाल उठाने वालों पर पहले भी पुलिस करती रही है कार्रवाई
सवाल यह है कि क्या उदयन राय को इसी बात की सजा दी जा रही है कि उन्होंने खुले मंच से द्विज परंपराओं के खिलाफ आह्वान किया है?
जाहिर तौर पर इस संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है। यह पहली बार नहीं है जब महिषासुर महोत्सव मनाने वालों को प्रताड़ित किया गया है। 2016 में छत्तीसगढ़ के मुंगेली में विकास खांडेकर को पुलिस ने न केवल फर्जी मामले में फंसाकर जेल भेजा बल्कि उन्हें जिलाबदर कर दिया। छत्तीसगढ में ही महिषासुर-दुर्गा के प्रतीकों पर सवाल उठाने के कारण कम्युनिस्ट पार्टी के आदिवासी तबके से आने वाले पूर्व विधायक मनीष कुंजाम पर भी मुकदमा दर्ज किया गया। एक और उदाहरण बिहार के नवादा में खुद को महिषासुर की बेटी कहने वाली सुमन सौरभ का है। उन्हें भी पिछले वर्ष 2018 के सितंबर महीने में हत्या के आरोप में जेल में बंद कर दिया गया था। फिलहाल वे जमानत पर हैं।
उदयन राय के साथ आज जो किया जा रहा है, वह भी इसी सिलसिले का हिस्सा है।
उदयन राय पर पुलिस का हास्यास्पद आरोप
बात 25 फरवरी की है। उदयन राय को पुलिस ने उस समय उठा’ लिया जब वे अपनी साइकिल से बगल की झुग्गी में बच्चों को पढ़ाने जा रहे थे। पुलिस ने उन्हें दो दिनों तक अज्ञात स्थान में रखा। इस दौरान उदयन राय की वयोवृद्ध मां अपने बेटे के साथ किसी हादसे (कत्ल) की आशंका से घिरी रहीं। वह रोती रहीं लेकिन कहीं से कोई सूचना नहीं मिली। 27 फरवरी को पटना जिला के पीरबहोर थाने की पुलिस ने उन्हें इसकी सूचना दी कि उनके बेटे यानी उदयन राय को गिरफ्तार कर लिया गया है।

सनद रहे कि भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के मुताबिक पुलिस यदि किसी को गिरफ्तार करती है तो उसे चौबीस घंटे के अंदर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करती है। लेकिन उदयन राय के मामले में पुलिस ने अपने ही कानून को तोड़ दिया।
उदयन राय को किस आरोप में गिरफ्तार किया गया, यह सवाल 27 फरवरी को भी बना रहा। पटना के तमाम बुद्धिजीवी इसे लेकर उधेड़बुन में थे। इसका खुलासा 28 फरवरी 2019 को पटना के अखबारों में प्रकाशित खबरों से हुई। वह भी बोल्ड हेडिंग के साथ। दैनिक जागरण ने पहले पृष्ठ पर लीड खबर के रूप में छापा – पीएम की रैली में बम विस्फोटों की साजिश रचने वाला धराया।

वे सभी लोग जो उदयन राय को वर्षों से एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में देखते आए हैं, साथ में संघर्ष करते रहे हैं, उन्हें इस खबर ने विचलित कर दिया। जो इंसान गरीब-गुरबों को इंसाफ दिलाने के लिए अपना सबकुछ दांव पर लगाने को हमेशा तैयार रहता है, वह भला नरेंद्र मोदी की रैली (जो 3 मार्च 2019 को पटना के गांधी मैदान में हुई) में बम विस्फोट कर हजारों लोगाें की जान लेने की साजिश कैसे रच सकता है।
क्या आरएसएस के इशारे पर की गयी उदयन राय के खिलाफ कार्रवाई?
दरअसल, पटना पुलिस द्विजवादियों का डटकर मुकाबला करने वाले उदयन राय को दबोचने के लिए पहले से तैयार बैठी थी। जाहिर तौर जिस व्यक्ति के आह्वान पर बिहार में हजारों लोग द्विज परंपराओं का विरोध करने के लिए सार्वजनिक तौर पर एकजुट हो जाते हैं, उसके बारे में सरकारी इंटेलीजेंस खामोश कैसे रह सकता है। पुलिस ने आरोप लगाया कि उदयन राय ने व्हाट्सअप ग्रुप में एक सूचना प्रसारित की कि 3 मार्च 2019 को पटना के गांधी मैदान में पीएम नरेंद्र मोदी की रैली में बम विस्फोट होंगे और इस कारण पूरे उत्तर भारत में सांप्रदायिक दंगे भड़केंगे। इससे चार हजार से अधिक लोगों की जान जा सकती है।

आश्चर्य होता है पटना पुलिस की तर्क क्षमता और उसके सोचने-समझने की शैली पर। उदयन राय ने एक क्लोज ग्रुप में अपने मित्रों के साथ यह अंदेशा मात्र जताया था कि जिस तरह 2013 में पटना में नरेंद्र मोदी की रैली में बम विस्फोट कराए गए थे, वैसे ही इस बार भी बम विस्फोट कराए जा सकते हैं, ताकि भाजपा हिंदू-मुसलमान कार्ड खेल सके।
उदयन राय को आतंकवादी के माफिक पुलिस ने उठा लिया। सब कुछ रहस्मय तरीके से अंजाम दिया गया। इस संबंध में पटना में पदस्थापित डीआईजी रैंक के अधिकारी ने फारवर्ड प्रेस को बताया कि इस मामले को सीधे डीजीपी देख रहे थे। पूरी कार्रवाई उनकी देख-रेख में की गयी।
बताते चलें कि बिहार में डीजीपी के पद पर गुप्तेश्वर पांडे विराजमान हैं। उदयन राय की गिरफ्तारी में उनकी सक्रियता निश्चित तौर पर इस बात का संकेत देती है कि वे स्वयं भी उपर से गाइड किए जा रहे होंगे।
सवाल गैर वाजिब नहीं है कि क्या उदयन राय के खिलाफ कार्रवाई का आदेश नागपुर से दिया गया?

दहशत में है उदयन राय का परिवार
पटना के एक निम्न आय वर्गीय ओबीसी परिवार में जन्मे उदयन राय के घर में एक बुढ़ी मां और एक बहन जूही राय हैं। जूही अमेरिका के एक विश्वविद्यालय में प्रोफेसर है। भाई की गिरफ्तारी की सूचना मिलने के बाद जूही अमेरिका से घर आयीं। उन्होंने फारवर्ड प्रेस को कहा कि उनके भाई को साजिश के तहत फंसाया गया है और उन्हें एक ऐसे आरोप में सजा दी जा रही है, जिससे उनका कोई लेना-देना ही नहीं है। जूही कहती हैं कि सोशल मीडिया पर नरेंद्र मोदी और आरएसएस के खिलाफ असंख्य संदेश/पोस्ट लिखे जाते हैं, लेकिन पुलिस को कोई फर्क नहीं पड़ता। उनके भाई (उदयन राय) ने सिर्फ एक अंदेशा प्रकट की और पुलिस ने उन्हें आतंकवादी मान लिया। वहीं उनकी मां हर पल इस दहशत में जी रही हैं कि पुलिस कहीं उनके बेटे का एनकाउंटर न कर दे।
(कॉपी संपादन : सिद्धार्थ)
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