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शिक्षा के सरोकार, मुस्लिम महिलाओं के हालात, उत्तर-पूर्व के रंग, कुंवर सिंह और बीएन गांगुली स्मृति व्याख्यान

देश का अकादमिक जगत शिक्षा की मौजूदा हाल जानने के अलावा उन पर भी चर्चा कर रहा है जिन्होंने अपने सामाजिक और आर्थिक चिंतन से हमारी बौद्धिक क्षमता को बढ़ाने में अहम योगदान दिया। शैक्षणिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और मानविकी से संबद्ध आगामी दिनों में और क्या-क्या आयोजन हैं, जानते हैं इस साप्ताहिक कॉलम में

समाज के काम की शिक्षा

‘सतत विकास के लिए बनते अनुसंधान प्रतिमान : एक कदम शिक्षा में गुणवत्ता बढ़ाने के लिए’ विषयक एक अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार 16 जनवरी 2020 को के.ई. सभागार, चतुर्थ ब्लॉक, क्राइस्ट विश्वविद्यालय, होसुर रोड, बेंगलुरु में शुरू हो रहा है जो 18 जनवरी तक चलेगा। इस कार्यक्रम को यहां के स्कूल ऑफ एजुकेशन सोसोइटी, क्राइस्ट यूनिवर्सिटी काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन फाउंडेशन (सीटीईएफ) एसोसिएशन ऑफ इंडियन ओरिजिनल (एआईआरआईओ) के सहयोग से किया जा रहा है।

आयोजकों ने इस सम्मेलन के मकसद को लेकर बराक ओबामा के प्रसिद्ध कथन को याद किया है, जिसमें कहा गया था कि “हम जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को महसूस करने वाली पहली पीढ़ी हैं और वह आखिरी पीढ़ी जो इसके बारे में कुछ कर सकती है। हमें तो बस एक घर, एक ग्रह मिला है। कोई प्लान-बी नहीं है।” असल में यह तमाम विचारों को एक साथ लाने का समय है, जो शिक्षा के साथ स्थिरता की अवधारणा को मिला सकता है और इसे अंतःविषय बना सकता है।

सम्मेलन के उप-विषय हैं- शिक्षा, स्थिरता, गुणवत्ता और समाज, स्थायी शिक्षा के लिए एक स्थायी समाज का विजन और मूल्य, सतत विकास के लिए शिक्षण और सीखने में नवाचार, स्थायी शांति और विकास के लिए वैश्विक तकनीकी रुझान और शिक्षा, शिक्षा में स्थिरता के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी, लैंगिक समानता, समावेश, महिलाओं की भागीदारी और सतत विकास, सतत विकास के लिए मूल्य शिक्षा, स्थिरता के लिए संसाधनों का प्रबंधन, सतत विकास में अनुसंधान, पेशेवर नैतिकता, भाषा और संस्कृति को बनाए रखना, सतत विकास के लिए सामुदायिक भागीदारी और शैक्षणिक संस्थान।

आयोजन समिति में डॉ. अनीता राव मैसूर, डॉ. कारलाइन मैरी डेस्डेमोना ए, डॉ. ग्रेटा डीसूजा, डॉ. कैनेडी एंड्रयू थॉमस, डॉ. पीटर एम. वी., डॉ. प्रकाश जी. एस., डॉ. प्रमोद कुमार एम. पी. एम., डॉ. सुमिता राव के., प्रो.(डॉ.) नीलिमा भगवती, डॉ. सत्यदेव सिंह आदि हैं। शोधपत्र या आलेख का सार 15 नवंबर तक भेजा जा सकता है। फुल-लेंथ पेपर 3000 शब्दों में लिखा जा सकता है। इसे 15 दिसंबर 2019 को या उससे पहले  Continabledevelopment2020@conference.christuniversity.in पर भेज सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए 80 4012 9281/ 80 4012 9282/ 80 4012 9283/ 80 4012 9284/ 80 4012 9285 पर संपर्क किया जा सकता है।

गांव की फिक्र में भविष्य पर चिंता

“भारत में ग्रामीण विकास: वर्तमान परिदृश्य और भविष्य की चुनौतियां” विषय पर डिग्री कॉलेज नाला, जामताड़ा (एसकेएमयू, दुमका की एक स्थायी संबद्ध इकाई) ने 17 और 18 नवंबर 2019 को सम्मेलन आयोजित किया है।

सम्मेलन के प्रमुख विषय हैं- सोलार विंड पावर अर्थ, हरित रसायन विज्ञान में अनुसंधान: मौजूदा रुझान और इसकी प्रासंगिकता, युगीन भारतीय अर्थव्यवस्था, रेन फॉरेस्ट पशु अनुसंधान, पर्यावरणीय गिरावट, जलवायु परिवर्तन, प्रवास और युवा, पर्यावरण जागरूकता शिक्षण, कृषि व्यवसाय, कृषि शिक्षा, कृषि अनुसंधान प्रबंधन, कृषि जोखिम प्रबंधन, कृषि व्यापार, खेती और ग्रामीण विकास, जैव विविधता, जलवायु परिवर्तन, समुदाय आधारित ग्रामीण विकास, मत्स्य और एक्वाकल्चर, खाद्य उत्पादन, खाद्य सुरक्षा, वन और वानिकी, जेंडर और ग्रामीण विकास, सिंचाई और ड्रेनेज, भूमि नीति और प्रशासन, भूमि और खाद्य सुरक्षा, भूमि संसाधन प्रबंधन, पर्यावरण जागरूकता शिक्षण, ग्रामीणों के माध्यम से भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास, ग्रामीण महिला उद्यमिता में भारत, ग्रामीण महिला शिक्षा में समानता, भारत में शिक्षा प्रणाली द्वारा पशुधन और पशु संसाधन, ग्रामीण शिक्षा, ग्रामीण वित्त, ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा, ग्रामीण आजीविका, ग्रामीण नीति, ग्रामीण निजी क्षेत्र का विकास, ग्रामीण परिवहन, ग्रामीण जल आपूर्ति, प्रौद्योगिकी और नवाचार, स्वच्छता और स्वच्छता, सतत ग्रामीण विकास।


आयोजकों का कहना है कि सम्मेलन  के जरिए शिक्षाविदों, अनुसंधानरत छात्रों औऱ अन्य छात्रों को एक मंच मिलेगा। साथ व्यापार जगत के प्रतिनिधि और सरकारी अधिकारी भी इसमें शिरकत कर सकेंगे। पीअर रिव्यूड पत्रिका में प्रकाशन का अवसर/ संदर्भ पत्रिका, बेस्ट पेपर प्रेजेंटेशन अवार्ड की घोषणा आदि का प्रतिभागियों को लाभ मिलेगा।

आयोजन कराने वाला नाला डिग्री कॉलेज र्व्ष 1988 में बना था। यह गोपालपुर गांव के पास है और नाला झारखंड का एक निर्वाचन क्षेत्र भी है।

महत्वपूर्ण तिथियाँ- सार प्रस्तुत करने की अंतिम तिथि: 5 नवंबर 2019। पंजीकरण के लिए अंतिम तिथि: 7 नवंबर 2019। फुल पेपर सबमिशन: 10 नवंबर 2019। सम्मेलन की तारीख: 17 और 18 नवंबर 2019। सर्वश्रेष्ठ पेपर प्रस्तुति को मेडल से सम्मानित किया जाएगा। पेपर भेजने लिए ईमेल एड्रेस है: dcnskmu@gmail.com और ketannextworld@gmail.com इस सम्मेलन के समन्वयक डॉ. केतन कुमार मिश्र हैं जो एचआरएस धनबाद के प्रमुख हैं। उनका ईमेल पता है: dcnskmu@gmail.com, ketannextworld@gmail.com जबकि मोबाइल नंबर: 8789041035, 9334330683 हैं। कार्यक्रम टीओयूसीएएन शिक्षा विकास और अनुसंधान के सहयोग के किया जा रहा है।

कुंवर सिंह स्मृति व्याख्यान

रंगश्री, प्रतिश्रुती, बक्सर प्रकाशन संस्थान दिल्ली और आधार प्रकाशन, पंचकूला के सौजन्य से सातवां सृजनात्मक इतिहास सम्मेलन- ‘मेरा गांव-मेरा इतिहास’ विषयक 12वां कुंवर सिंह स्मृति व्याख्यान, सातवां बक्सर ग्रामीण लेखक इतिहासकार सम्मेलन एवं सातवां रामायण चौपाई स्मृति व्याख्यान और लोकार्पण कार्यक्रम 14 और 16 नवंबर 2019 को गढ़ (कुंवर सिंह) जगदीशपुर, आरा (बिहार) में आयोजित किया गया है। इसमें शिरकत कर रहे लेखक और इतिहासकारों के नाम हैं- नागेंद्र नाथ ओझा, कन्हैया बहादुर सिन्हा, कमरुद्दीनखान, देवेंद्र चौबे, महेंद्र प्रताप सिंह, रश्मि चौधरी, एस. एन. रिजवी, दिव्या, विजय सिंह, राजेंद्र प्रसाद, सुरेंद्र पाठक, कुमार नयन, विमल कुमार, राम मुरारी जी, सुरेश कांटक, कल्याण सिंह, वैदेही श्रीवास्तव, धीरज कुमार, कौशिक, सरिता, राजेश शर्मा, पारस मणि घोष, अभय सिंह, जयशंकर सिंह, दानिश खान, कृष्णानंद चौबे, फौद्दार मांझी, चंद्रदेव मिश्रा, प्रदीप कुमार, यतींद्र कुमार चौबे और अन्य।

गौरतलब है कि इस व्याख्यानमाला में बद्रीनारायण, ओमप्रकाश वाल्मीकि, प्रेमकुमार मणि, अरुण कुमार जैसे कई प्रमुख लोग पिछले सालों में व्याख्यान दे चुके हैं। आयोजकों से कार्यक्रम के बारे में ज्यादा जानकारी ली जा सकती है। आयोजन समिति के विजय सिंह, विमल कुमार के फोन नंबर हैं- 9572071623, 88042 92176। कार्यक्रम की केंद्रीय संयोजक रश्मि चौधरी, महेंद्र प्रताप सिंह हैं। इनके फोन नंबर हैं- 9810058431, 8810403430

नॉर्थ ईस्ट फेस्टिवल 2019

नॉर्थ ईस्ट फेस्टिवल 8, 9 और 10 नवंबर 2019 को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, जनपथ, नई दिल्ली में होने जा रहा है। यह फेस्टिवल उत्तर-पूर्व क्षेत्र के बारे में जागरूकता पैदा करने का एक बड़ा मंच रहा है। खासकर, पर्यटन स्थल के रूप में इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए प्रचार-प्रसार का काम। इस कार्यक्रम में बौद्धिक, संगीत और कला क्षेत्र की शीर्ष हस्तियां शिरकत करेंगी।

वर्ष 2016 में नार्थ ईस्ट फेस्टिवल, नई दिल्ली की तस्वीर

कार्यक्रम के तहत संगोष्ठियों के अलावा नामी संगीतकार, डिजायनर, छायाकार और अन्य कलाओं के प्रतिनिधियों का काम देखा जा सकेगा। इनमें फोटोग्राफी प्रदर्शनी और कार्यशालाएं, लोक नृत्य और नॉर्थ ईस्ट इंडिया का गीत संगीत शामिल हैं। चर्चा सत्र के अलावा सबसे बड़ी हथकरघा और हस्तकला प्रदर्शनियाँ खास आकर्षण होंगे। नॉर्थ ईस्ट फेस्टिवल पिछले 6 साल से एक बड़ा ब्रांड बन गया है। दिल्ली में होने वाले इस तरह के कार्यक्रमों में इसका प्रमुख तौर पर उल्लेख किया जाता है। कार्यक्रम में प्रवेश के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा।

आयोजकों का कहना है कि नॉर्थ ईस्ट फेस्टिवल में इम्पल्स सोशल एंटरप्राइजेज कारीगरों के काम का प्रदर्शन किया जाएगा। इस कार्यक्रम में भारतीय फुटबाल टीम के पूर्व कप्तान रेंडी सिंह से भी मुलाकात की जा सकेगी। उनके देश में बड़ी सख्या में चाहने वाले हैं। रेंडी सिंह प्रेसिडेंट प्लेयर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया और देश की क्लासिक फुटबॉल एकेडमी के टेक्निकल डायरेक्टर से लेकर मोहन बागान पूर्वी बंगाल/ जेसीटी/ लाजोंग एफसी / केरल ब्लास्टर्स आदि प्रमुख क्लबों से जुड़े रहे हैं। 

बीएन गांगुली स्मृति व्याख्यान में मुस्लिम महिलाओं पर चिंता

प्रसिद्ध अर्थशास्त्री  और सीएसडीएस के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के पूर्व अध्यक्ष बी.एन. गांगुली की याद में होने वाला मेमोरियल व्याख्यान इस बार सीएडीएस परिसर में 1 नवंबर 2019 को आयजित किया गया है। इस बार का विषय मुस्लिम महिलाओं के संदर्भ में लिंग, हिंसा और उनके सुरक्षा संबंधी विषयों का विस्तार से देखने का होगा। ये व्याख्यान  कोलंबिया विश्वविद्यालय में सामाजिक विज्ञान की लीला अबू लौघड़ देंगी जो एनथ्रोपलॉजी और जेंडर स्टडी पढ़ाती हैं।

सीएसडीएस में मुस्लिम महिलाओं पर चिंता

अपनी स्थापना के बाद से अब तक इस व्याख्यानमाला में प्रो. टेलर, रोडोल्फो स्टावेनहेन, रायमुंडो पणिक्कर, भीखू पारेख, अर्नेस्ट गेलनर, अली मजरुई, रॉबर्टो उंगर, माइकल वाल्ज़र, जॉन कीन, अमित भादुड़ी, गियोर्जियो एगबेन, बीना अग्रवाल, जोस केसारानोवा, रेसरो डी सूसा सांतोस, दिपेश चक्रवर्ती, क्लाउडियो लोमनिट्ज़, जोमो क्वामे सुंदरम, साड़ी नुसेबेह और लीला गांधी जैसी विश्वख्याति के विद्वान शिरकत कर चुके हैं।

मौजूदा दौर में राज्य संप्रभुता और वैश्विक सुरक्षा के तरीकों में तेजी से बदलाव हुआ है और महिलाओं के खिलाफ हिंसा और लिंग आधारित हिंसा विश्व की शासन व्यवस्थाओं और अंतरराष्ट्रीय कानूनों में शक्तिशाली विषयों के तौर पर उभरे हैं। इनमें एक बड़ा मुद्दा “मुस्लिम प्रश्न” है जिसकी कई परते हैं। लीला कई पुरस्कृत किताबों की लेखिका हैं और उनके लेखों का 14 भाषाओं में अनुवाद हुआ है। उनकी किताबों में वील्ड सेंटीमेंट्स: ऑनर एंड पोएट्री इन ए बेडूइन सोसायटी;  राइटिंग वूमेन वर्ल्ड; द ड्रामा ऑफ़ नेशनहुड: द पॉलिटिक्स ऑफ़ टेलीविज़न इन इजिप्ट; नक्बा फिलिस्तीन, 1948 और क्लेम ऑफ मेमोरी के अलावा हाल ही में डू मुस्लिम वूमेन नीड्स सेविंग्स? (हार्वर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, 2013) प्रकाशित हुए हैं।

कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रसिद्ध लेखिका और सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज दिल्ली के प्रोफेसर शैल मायाराम करेंगी। कार्यक्रम शाम 6 बजे सीएसडीएस सेमिनार रूम, 29 राजपुर रोड, दिल्ली में है।

एक शाम गिरधर राठी के साथ

गांधी शांति प्रतिष्ठान, दिल्ली में 3 नवंबर 2019 को एक साथ नौ पुस्तकों के विमोचन का कार्यक्रम है। अशोक वाजपेयी की अध्यक्षता में होने वाले इस विमोचन कार्यक्रम का नाम ‘एक शाम गिरधर राठी के नाम’ दिया गया है। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर कुमार प्रशांत शामिल होंगे। कार्यक्रम में गिरधर राठी लिखित सभी नौ पुस्तकों पर संवाद और परिचर्चा भी होगी। बता दें कि गिरधर राठी हिंदी के प्रतिष्ठित साहित्यकार, संपादक और अनुवादकों में शुमार हैं। उनकी इन पुस्तकों में ज्यादातर वैचारिक लेखों के संग्रह हैं।

कार्यक्रम के संयोजक संभावना प्रकाशन के संचालक अभिषेक अग्रवाल इस बारे में ज्यादा जानकारी ली जा सकती है। उनका फोन नंबर है- 070174 37410कार्यक्रम में मंगलेश डबराल, प्रयाग शुक्ल, लीलाधर मंडलोई, विनोद भारद्वाज, विष्णु नागर, कुलदीप कुमार, राकेश रेणु और मदन कश्यप आदि साहित्यकार भाग लेंगे। कार्यक्रम शाम 5 बजे से शुरू होगा।

फ्रेंच का विकास और अनुवाद

फ्रेंच और फ्रैंकोफ़ोन अध्ययन के क्षेत्र में शिक्षण और अनुसंधान में मौजूदा रुझानों को लेकर 2 और 3 नवंबर, 2019 को फ्रेंच और फ्रैंकोफ़ोन अध्ययन केंद्र, भाषा, साहित्य और संस्कृति अध्ययन स्कूल, फ्रेंच और फ्रैंकोफ़ोन स्टडीज, जेएनयू ने सेमिनार आयोजित किया है। समझा जाता है कि शिक्षण और अनुसंधान दो ऐसे अत्यंत गतिशील क्षेत्र हैं जिन्हें नियमित रूप से अद्यतन करने की आवश्यकता होती है। विशेष रूप से युवा शिक्षकों को प्रशिक्षित करने और अनुसंधान करने वाले विद्वानों के लिए मंच प्रदान करना महत्वपूर्ण हो जाता है। फ्रेंच और फ्रैंकोफोन केंद्र (सीएफएफएस) काफी समय से इन गतिविधियों की ओर खासा ध्यान दे रहा है और नियमित अंतराल पर सेमिनार और शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करता रहा है।

आयोजकों ने बताया कि इस सेमिनार के जरिए भी कोशिश हो रही है कि इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में युवा विद्वानों और अनुसंधान, अध्यापन में नवीनतम रुझानों को समझा जा सके। इसमें स्कूल और कॉलेज/ विश्वविद्यालय के शिक्षकों के लिए समानांतर प्लेनरी सत्र आयोजित किए जाएंगे। स्कूल के शिक्षकों के लिए, सेमिनार में भाग लेने के लिए फ्रेंच में न्यूनतम बी-वन स्तर या स्नातक होना आवश्यक है। स्कूल शिक्षक जो फ्रेंच के मूल के हैं, वे भी सेमिनार में भाग ले सकते हैं। इस बारे में अधिक जानकारी को लिए seminarcffs2019@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।

(संपादन : नवल)


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लेखक के बारे में

कमल चंद्रवंशी

लेखक दिल्ली के एक प्रमुख मीडिया संस्थान में कार्यरत टीवी पत्रकार हैं।

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