धर्मों का परस्पर रिश्ता
यह दिलचस्प है कि जिस बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में फिरोज खान की प्रोफेसर के रूप में संस्कृत संकाय में नियुक्ति को लेकर बवाल हो रहा है, उसी बीएचयू में 22 से 24 नवंबर को “पारस्परिक समझ और वैश्विक शांति की ओर” विषयक तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया है। इस कार्यक्रम को यूनेस्को की चेयर फॉर पीस एंड इंटरकल्चरल अंडरस्टैंडिंग, मालवीय शांति अनुसंधान केंद्र और यूनाइटेड रिलीजियस इनीसिएटिव, कैलिफोर्निया, संयुक्त राज्य अमेरिका के सहयोग से किया जा रहा है।
सम्मेलन के बारे में आयोजकों ने स्वामी विवेकानंद के कथन को याद दिलाया है- “बीज को जमीन में डाला जाता है। इसके चारों ओर पृथ्वी, हवा और पानी उपस्थित होते हैं। क्या बीज पृथ्वी या वायु या पानी बन जाता है? नहीं। यह एक पौधा बनता है। यह अपने स्वयं के विकास के नियम से विकसित होता है- हवा, पृथ्वी और पानी को आत्मसात करता है और पौधे में परिवर्तित होता है। धर्म के मामले में भी ऐसा ही है। ना ईसाई बनना है, ना हिंदू बनना है, ना बौद्ध बनना है। लेकिन प्रत्येक को दूसरों की भावना को आत्मसात करना चाहिए और फिर अपने व्यक्तित्व को बनाए रखने की ओर अग्रसर होना चाहिए।”
आयोजकों का कहना है कि इस सम्मेलन का उद्देश्य आज की दुनिया में पारस्परिक विचारों और परस्पर समझ को उजागर करना है जो संघर्ष के स्रोत के रूप में धर्म की बहुप्रचारित विरासत को चुनौती देता है।

कहा जा रहा है कि यह सम्मेलन इस रूप में जमीनी स्तर पर परस्पर/अंतरविरोधी संवादों, कुछ अनजानी कहानियों के बारे में जानकारी देगा और उनको साथ लाएगा- साथ ही धार्मिक शांति के लिए मौजूदा तौर-तरीकों के बारे में महत्वपूर्ण दृष्टिकोण प्रदान करेगा। कुछ सुझाए गए उपविषय है- 1. शांति के लिए धर्म : धार्मिक नेता और जमीनी कार्यकर्ता, 2. शांति निर्माण के सिद्धांत: राजनीति और समाज, 3. जमीनी स्तर की शानदार परंपराएं, 4. धर्म और पारिस्थितिक शांति, 5. महिला सशक्तिकरण का मुद्दा, 6. वैश्विक स्तर की चुनौतियां।
इस बारे में अधिक जानकारी के लिए unesco.internationalseminar@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है। कार्यक्रम के संरक्षक प्रो. राकेश भटनागर, कुलपति बनारस हिंदू विश्वविद्यालय हैं। सम्मेलन के सह-संयोजक डॉ. मनोज कुमार मिश्रा हैं जबकि संयोजकों में प्रो. प्रियंकर उपाध्याय (यूनेस्को), डॉ. अजय कुमार यादव हैं। आयोजन समिति के समन्वयकों से अधिक जानकारी के लिए 9451720906, डॉ. प्रशांत कुमार 9431905998 से संपर्क किया जा सकता है। आयोजन समिति में प्रो. प्रियंकर उपाध्याय, डॉ. मनोज कुमार मिश्रा, डॉ. अजय कुमार यादव, डॉ. प्रशांत कुमार. डॉ. सुनीता सिंह, प्रो. अंजू शरण उपाध्याय हैं।
पर्यावरण और जनजातीय समाज
आदिवासियों के विकास के परिप्रेक्ष्य में पर्यावरण मसलों को लेकर बहसों का कभी अंत नहीं होता। राजकीय पीजी कॉलेज बारां (राजस्थान) ने 3 और 4 जनवरी 2020 को दो दिन का अहम राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया है। “पर्यावरण और जनजातियों का सतत विकास” विषय को लेकर देशभर से आलेख और शोधपत्र मंगाए गए हैं। सम्मेलन में सर्वाधिक जोर राजस्थान के उन क्षेत्रों पर केंद्रित है जहां जनजाति समुदाय के लोग बहुलांश हैं। सम्मेलन कॉलेज के अर्थशास्त्र विभाग ने आयोजित किया है।
आयोजकों ने बताया कि तकनीकी सत्र में पहला विषय होगा- पर्यावरणीय मुद्दे। दूसरे सत्र में भारत में रहने जनजाति समुदायों के मुद्दे और तीसरे सत्र में राजस्थान के जनजातीय क्षेत्र की समस्याएं और मुद्दों पर चर्चा होगी। उपविषय हैं- 1. पर्यावरण के मुद्दे और सतत विकास। 2. जनजातियों के विशेष संदर्भ में विभिन्न पर्यावरण चुनौतियां खासकर दक्षिणी राजस्थान के हालात। 3. जनजातीय आजीविका और सतत विकास के विशेष संदर्भ (सहारिया जनजाति)। 4. भारत में जनजातियों और उनके रहने की स्थिति। 5. आदिवासी विकास में एनजीओ की भूमिका। 6. सामाजिक समावेश: सरकार की जनजातियों के विकास के लिए की गई पहल। 7.राजस्थान में जनजातियों का सामाजिक-आर्थिक विकास। 8. आदिवासी कला और संस्कृति। 9. राजस्थान में शिक्षा की स्थिति। 10. राजस्थान में विकास को चुनौतियां।
कार्यक्रम की अधिक जानकारी के लिए वेबसाइट www.rajasthaneconomic.in देखें। ईमेल एड्रेस है: estem2020@gmail.com। संयोजक के संपर्क नंबर हैं- 9414944446 और 9413944125।
ऑनलाइन ट्रेनिंग को बड़ा रिस्पांस मिला
महाराष्ट्र के पुणे स्थित सावित्रीबाई फुले यूनिवर्सिटी के नेशनल रिसोर्स सेंटर के द्वारा ऑनलाइन टीचर्स ट्रेनिंग मुहैया करायी जा रही है। विश्वविद्यालय के मुताबिक इस पहल को जबरदस्त रिस्पांस मिला है, इस ट्रेनिंग कोर्स से बड़ी संख्या में वंचित वर्गों से लाभार्थी जुट रहे हैं और फायदा उठा रहे हैं। हमने दो महीने पहले इसी कॉलम में इस बारे में खबर प्रकाशित की थी।
आयोजकों के मुताबिक, रिसोर्स सेंटर ने उच्च शिक्षा के लिए शिक्षक प्रशिक्षण के लिए कुछ हफ्ते का ऑनलाइन प्रशिक्षण शुरू किया है जो 31 दिसंबर 2019 तक चलेगा। शिक्षण में मदद करने के लिए यह एक सालाना रिफ्रेशर प्रोग्राम है जो 40 घंटे का कोर्स है। आयोजकों का कहना है कि उच्च शिक्षा में शिक्षण कार्य की सैद्धांतिक पृष्ठभूमि और पढ़ाने के व्यावहारिक तरीकों के बारे में इस कोर्स के जरिए ट्रेनिंग दी जा रही है।
कोर्स के तहत ऑनलाइन वीडियो, पावर प्वाइंट प्रजंटेशन जैसे माध्यमों से प्रशिक्षण दिया जा रहा है। हफ्ते में एक-एक घंटे की चार क्लासेस हो रही हैं। संदर्भ सामग्री भी ऑनलाइन मुहैया कराई गई है। कोर्स खत्म होने के बाद प्रतिभागियों की परीक्षा होगी, जिसके आधार पर प्रमाण पत्र जारी किए जाएंगे।
कोर्स में शामिल होने के लिए आयोजकों में प्रोफेसर डॉ. संजीव सोनवान और डॉ. वैभव जाधव से ज्यादा जानकारी ली जा सकती है। इसके और अन्य विवरण के लिए https://swayam.gov.in/nd2_arp19_ap67/preview लिंक को देखें।
महात्मा गांधी की महिला सत्याग्रही
देश में इन दिनों महात्मा गांधी की 150वीं जयंती वर्ष के मौके पर समारोह हो रहे हैं। आंबेडकर विश्वविद्यालय,दिल्ली ने भी इस मौके पर 28 नवंबर 2019 को हिंदी सम्मेलन का आयोजन किया है। इससे पहले विश्वविद्यालय महात्मा गांधी पर सुधीर काकर का व्याख्यान, गांधीजी को समर्पित हिंदी सम्मेलन, स्नातक स्तर पर हिंदी और अंग्रेजी में निबंध प्रतियोगिताएं आदि कार्यक्रम आयोजित कर चुका है। नया सम्मेलन विश्वविद्यालय के कश्मीरी गेट स्थित परिसर में सुबह 11 बजे से शुरू होगा।
विश्वविद्यालय ने इस सम्मेलन में प्रो. मीनल श्रीवास्तव का व्याख्यान और छात्रों व स्कॉलर्स के साथ रु-ब-रू कार्यक्रम रखा है। इसका विषय है- “गांधी के महिला सत्याग्रही : समकालीन सामाजिक-राजनीतिक अध्ययन में कितने जरूरी”। बताते चलें कि प्रो. श्रीवास्तव ऐथाबैस्का विश्वविद्यालय, कनाडा में राजनीतिक अर्थव्यवस्था और वैश्विक अध्ययन केंद्र में विभागाध्यक्ष हैं।
सन् 2006 से अथाबास्का यूनिवर्सिटी से जुड़ीं प्रो. मीनल का कहना है कि, “1930 में महात्मा गांधी ने भारत में सविनय अवज्ञा आंदोलन का नेतृत्व किया- तब 80,000 राजनीतिक कैदियों में से 17,000 महिलाएं और बच्चे थे। इस तरह की अभूतपूर्व राजनीतिक भागीदारी के बावजूद सामान्य महिलाओं की भूमिका का स्वरूप और व्यापक भागीदारी अधिकांश भारतीय ऐतिहासिक परंपराओं के भीतर अदृश्य रहे जबकि स्वतंत्रता और समानता के लिए चली विभिन्न लड़ाइयों में आम महिलाओं की उपस्थिति और आवाज़ जबर्दस्त तरीके से गूंजी है।
ध्यातव्य है कि वैश्वीकरण की प्रक्रियाओं पर प्रो. मीनल श्रीवास्तव के 30 से अधिक शोध अकादमिक जगत में चर्चित रहे हैं जबकि सत्तर से अधिक सम्मेलनों में वे अपने शोध आलेख पढ़ चुकी हैं। उनकी उपस्थिति से दिल्ली के छात्रों को काफी अनुभव हासिल होगा।
नैनो विज्ञान की पैठ
पश्चिम बंगाल की कोलकाता स्थित कलकत्ता यूनिवर्सिटी और सेंटर फॉर रिसर्च इन नेनो साइंस एंड नैनो टेक्नोलॉजी (सीआरएनएन) ने “नैनो मीट-2020” का दो दिवसीय सम्मेलन आयोजित किया है। यह सम्मेलन प्रायोगिक और सैद्धांतिक सिद्धांतों (भौतिक, रासायनिक, जैविक और इंजीनियरिंग विज्ञान) के सभी पहलुओं को सम्मिलित करेगा, जो तमाम नैनो-विज्ञान और नैनो-प्रौद्योगिकी से संबंधित हैं। 28-29 फरवरी 2020 को ये सम्मेलन प्रौद्योगिकी परिसर, जेडी- 2, सेक्टर- III, साल्टलेक, कोलकाता में होगा। आयोजकों ने इसके लिए देशभर के युवा वैज्ञानिकों, शिक्षकों, छात्रों और शोधार्थियों से आलेख और शोध पत्र मंगाये हैं।
इस कार्यक्रम के लिए आलेख या शोध-पत्र का सार-संक्षेप 11 फरवरी 2020 तक भेजा जा सकता है। स्वीकृति संबंधी सूचना 18 फरवरी 2020 को दी जाएगी। पंजीकरण भी 18 फरवरी 2020 तक किया जा सकता है।
सीआरएनएन और यूनिवर्सिटी ने इसके लिए जो संपर्क नंबर दिया है, वो है- 0133 23351063। आयोजन समिति में दीपंकर चट्टोपाध्याय, उर्मी चटर्जी, सनातन चट्टोपाध्याय, श्रेया चट्टोपाध्याय और प्रसून मुखर्जी हैं। अधिक जानकारी और संपर्क के लिए crnncu@caluniv.ac.in पर लिखें साथ ही अन्य दिशा-निर्देशों के लिए www.crnncu.org/nanomeet-main.html पर जाएं।
इंजीनियरिंग की फ्रिक
महात्मा ज्योतिबा फुले (एमजेपी) विश्वविद्यालय रुहेलखंड बरेली ने “इंजीनियरिंग में शैक्षिक अनुसंधान, प्रबंधन और सूचना प्रौद्योगिकी” पर तीन दिन का राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया है। यह सम्मेलन बीएमएस कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, बैंगलोर के सौजन्य से 1 से 3 फरवरी 2020 तक यांत्रिक इंजीनियरिंग विभाग, एमजेपी, बरेली के कैंपस में होगा। शोधकर्ताओं और शिक्षकों को एक साथ लाने के अलावा इसकी भूमिका प्रमुख क्षेत्रों के वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों और उद्योगपतियों, इंजीनियरियों, प्रबंधकों और सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में काम कर रहे लोगों को मंच देना है ताकि सतत विकास की ओर अग्रसर हुआ जा सके। आयोजकों ने बताया कि प्रतिभागी अपने अनुभव और शोध साझा कर सकेंगे, साथ ही इंजीनियरिंग के बारे में परिणाम और चर्चा करने के लिए भी व्यावहारिक चुनौतियों भी पता कर सकेंगे।
सम्मेलन में कुछ उपविषय इस तरह हैं – इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग, इंस्ट्रूमेंटेशन इंजीनियरिंग, इंडस्ट्रीयल इंजीनियरिंग, मैकेनिकल इंजीनियरिंग, इको फ्रेंडली इंजीनियरिंग, नैनो-टेक्नोलॉजी, पदार्थ विज्ञान, जेनेटिक इंजीनियरिंग, मेटल इंजीनियरिंग, केमिकल इंजीनियरिंग, इंजीनियरिंग अर्थशास्त्र आदि है। इनके अलावा गुणवत्ता को लेकर उभरते रुझान के साथ संस्थागत रणनीतियाँ, पाठ्यक्रम, अनुसंधान और विकास, सांस्कृतिक और वैश्विक दक्षताओं के विकास के लिए रूपरेखा, समावेशी शिक्षा और अभ्यास विषय के अलावा शिक्षा और अनुसंधान में वैश्विक मुद्दे, प्रभावी, स्थायी और व्यापक वैश्विक समझौते, व्यावसायिक शिक्षा, इंटरनेशनल हायर एजुकेशन: रिसर्च एंड प्रैक्टिस, सीखने/ सिखाने के तरीके और मूल्यांकन इसके विषय हैं। साथ ही प्रबंध संगठन, प्रौद्योगिकी प्रबंधन, उत्पादन और संचालन प्रबंधन, परियोजना और गुणवत्ता प्रबंधन, आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन, जोखिम विश्लेषण, अनुबंध प्रबंधन, ज्ञान प्रबंधन, प्रबंधन में सामाजिक मुद्दे, सतत विकास, व्यापार, सरकार और गैर सरकारी संगठनों में नैतिकता, प्रबंधन के वैचारिक और सैद्धांतिक पहलू, उभरती अर्थव्यवस्थाओं में प्रबंधन, लघु उद्योग व्यवसाय प्रबंधन के अलावा सूचना प्रौद्योगिकी, बिजनेस इंटेलिजेंस, क्लाउड कम्प्यूटिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, सिग्नल प्रोसेसिंग, संचार प्रौद्योगिकी, साइबर सुरक्षा, डाटा बेस प्रबंधन जैसे विषयों पर भी शिक्षक और विशेषज्ञ आलेख तैयार कर सकते हैं।
सम्मेलन के बारे में संपर्क करें फोन नंबर 91-8318063609, 8295594226 पर। ई-मेल एड्रेस है- icaremit2020@gmail.com । सम्मेलन के लिए वेबसाइट: http://icaremjpru.in और विश्वविद्यालय की वेबसाइट www.mjpru.ac.in पर जाएं। मुख्य संरक्षक कुलपति प्रो. ए.के. शुक्ला हैं। एस.के. पांडेय और डॉ. मनोज कुमार सिंह समन्वयक हैं। इसके अलावा आयोजन समिति में डॉ. विनय ऋषिवाल, विशाल सक्सेना, डॉ. आशुतोष सिंह, डॉ. नीरज कुमार हैं। पूर्ण शोध और आलेख जमा करने की अंतिम तिथि 31 दिसंबर 2019 है।
(कॉपी संपादन : नवल/सिद्धार्थ)
फारवर्ड प्रेस वेब पोर्टल के अतिरिक्त बहुजन मुद्दों की पुस्तकों का प्रकाशक भी है। एफपी बुक्स के नाम से जारी होने वाली ये किताबें बहुजन (दलित, ओबीसी, आदिवासी, घुमंतु, पसमांदा समुदाय) तबकों के साहित्य, सस्कृति व सामाजिक-राजनीति की व्यापक समस्याओं के साथ-साथ इसके सूक्ष्म पहलुओं को भी गहराई से उजागर करती हैं। एफपी बुक्स की सूची जानने अथवा किताबें मंगवाने के लिए संपर्क करें। मोबाइल : +917827427311, ईमेल : info@forwardmagazine.in