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बंगाल में बुद्ध के दर्शन पर चर्चा, मुंबई में कौशल विकास और स्वायत्तता की आड़ में शिक्षा के निजीकरण पर मंथन

नई शिक्षा नीति में स्वायत्तता के तर्क को आधार बनाया जा रहा है। इसका एक परिणाम शिक्षा का व्यापक स्तर पर निजीकरण होगा। कायदे से इसका विरोध होना चाहिए, लेकिन अकादमिक जगत में इसके पक्ष में माहौल बनाया जा रहा है

महिला और बाल अधिकारों पर विमर्श

नई दिल्ली लॉ इंस्टिट्यूट में 12 जनवरी 2020 को “भारत में बाल अधिकारों का संरक्षण और महिला सशक्तिकरण के कानून” विषयक पर एक दिन का अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किया गया है। आयोजकों में में इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ ज्यूरिस्ट्स, लंदन भी शामिल है। 

आयोजकों ने बताया कि संगोष्ठी में महिलाओं और बच्चों से जुड़े मौजूदा सिद्धांतों, कानूनों, नीतियों और व्यावहारिक स्थितियों की गंभीर रूप से पुन: जांच की जाएगी ताकि महिलाओं और बाल अधिकारों की संवेदनशीलता को वैश्विक स्तर पर समझा जा सके। संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर काम करने वाले संगठनों के लिए एक मंच प्रदान करना है। कुछ उप विषय हैं- 1. भारत में बाल संरक्षण कानून। 2. बाल संरक्षण कानून और एनएचआरसी और अन्य एजेंसियों की भूमिका। 3. भारत में बच्चों की सुरक्षा के संबंध में विशिष्ट मुद्दे। 4. बच्चों का संरक्षण: अंतर्राष्ट्रीय कानून की रूपरेखा। 5. कार्य स्थल पर यौन उत्पीड़न। 6. महिला सशक्तिकरण और घरेलू हिंसा। 7. साइबर स्पेस और महिलाएं। 8. प्रजनन तकनीक और महिलाओं के अधिकार। 9. ईव- टीजिंग, मोलेस्टेशन, यौन शोषण और बलात्कार। 10. भारत में महिलाओं को सशक्त बनाने में न्यायपालिका की भूमिका। 11. महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध। 12. भारत में महिला सशक्तीकरण को प्राप्त करने में नागरिक समितियों और गैर-सरकारी संगठनों की भूमिका। 13. महिला सशक्तिकरण की यात्रा में चुनौतियां और बाधाएं।14. महिला सशक्तिकरण को प्राप्त करने के लिए कानून और नीतियां 

सेमिनार के संबंध में अधिक जानकारी के लिए 9310053923,  8860257167 पर संपर्क किया जा सकता है। साथ ही seminarnlus@gmail.com पर ईमेल भी किया जा सकता है 

दार्शनिक नजरिए का बुद्ध-पाठ

पश्चिम बंगाल स्थित रायगंज यूनिवर्सिटी के बुद्ध अध्ययन केंद्र ने आगामी 7 जनवरी से 13 जनवरी, 2020 को एक हफ्ते की कार्यशाला का आयोजन किया है। यह आयोजन विश्व दर्शन दिवस के उपलक्ष्य में किया जा रहा है। आमतौर पर दर्शन दिवस नवंबर में तीसरे वीरवार को मनाया जाता है। इस बार यह गत 21 नवंबर को मनाया गया। यह एक खास मौका होता है जब दुनिया भर के दार्शनिक अलग-अलग फोरमों पर विभिन्न दर्शनों-सिद्धांतों पर चर्चा करते हैं। 

बौद्ध धर्म के प्रवर्तक बुद्ध की एक पेंटिंग

आयोजकों का कहना है कि दुनिया में सहनशीलता और शांति के लिए दर्शन एक ऐसा अनुशासन है जो स्वतंत्र, महत्वपूर्ण विचार को प्रोत्साहित करता है, साथ ही यह दुनिया को समझने के लिए बेहतर समझ देता है। अध्ययन केंद्र ने रीडिंग बुद्धिस्ट टेस्ट के तहत प्रतिभागियों को आमंत्रित किया है। कार्यशाला आपीसीआर (इंडियन कौंसिल ऑफ फिलोसोफिकल रिसर्च) के सहयोग से किया जा रहा है।

इस बारे में अधिक जानकारी के लिए दर्शनशास्त्र विभाग की अध्यक्ष और बुद्ध अध्ययन केंद्र की संयोजक डॉ. तृप्ति धर से संपर्क किया जा सकता है। उनका मोबाइल नंबर- 97350 85169 है जबकि ईमेल एड्रेस है- rguphilosophy@gmail.com

मानव संसाधन का विस्तार

मानव संसाधन विकास के लिए मद्रास यूनिवर्सिटी के चेन्नई के सोशल साइंस स्कूल ने शिक्षा और कौशल विकास के लिए 23-24 जनवरी, 2020 को दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया है।


आयोजन की प्रस्तावना में विश्वविद्यालय का कहना है कि शिक्षा सीखते रहने की सुविधा और प्रक्रिया है। ज्ञान, कौशल, मूल्यों, विश्वासों का अधिग्रहण और आदतें उन सबमें निहित हैं। शैक्षणिक तौर तरीकों में स्टोरी टेलिंग, चर्चा, शिक्षण, प्रशिक्षण और निर्देशित अनुसंधान जैसे माध्यम हैं। जाहिर है कौशल विकास विषय आज ऐसा नहीं रह गया कि उसे विकल्प की तरह छोड़े या रखें। वह शिक्षा का अनिवार्य हिस्सा होता जा रहा है। कौशल जितना अनुकूल होगा जीवित रहने और सफलता के लिए काम आएगा।

संगोष्ठी के संयोजक के अनुसार, वैश्विक अर्थ तंत्र में उत्पादकता के लिए मानव के कौशल और दक्षताओं पर काफी कुछ निर्भर है। मानव संसाधन प्रणाली उस प्रशिक्षण को पहचानती है कि हर व्यक्ति को किस तरह के व्यवसाय करने की आवश्यकता है। यह रेखांकित करना जरूरी है। कुछ उपविषय हैं – एचआर-लीडरशिप स्किल, प्रबंधन की समस्याएं और उनका समाधान, कौशल विकास शैक्षिक प्रबंधन और शासन प्रबंध, औद्योगिक क्रांति 4.0 के लिए के लिए उभरते हुए कौशल-परिवर्तन प्रबंधनएचआरएम के लिए बिजनेस एनालिटिक्स। रोजगार के लिए कौशल विकास, भविष्य के मानव संसाधन पेशेवरों के लिए एचआर हस्तक्षेप, कार्य संस्कृति और टीम प्रबंधन, लाइफलॉन्ग लर्निंग एंड एचआर।

सेमिनार के संबंध में डायरेक्टर डॉ. वी.पी. मथेश्वरन (मोबाइल नंबर 9444029982), संगठन सचिव डॉ. जी. संधारवदिल (मोबाइल नंबर 9444062101) से संपर्क किया जा सकता है। उपरोक्त उपविषयों से जुड़े पूर्ण पेपर प्रस्तुति भेजने हेतु dacehod@gmail.com पर ईमेल करेें। इसकी अंतिम तिथि 31 दिसंबर, 2019 है।

नई शिक्षा नीति की दिशा

बी.के. बिरला कॉलेज (स्वायत्त), कल्याण, मुंबई और भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान (आईआईएएस), शिमला द्वारा संयुक्त रूप से सेंचुरी भवन, वर्ली, मुंबई में देश में स्वायत्त कॉलेज: आगे का रास्ता विषय पर 7-8 जनवरी 2020 को कार्यशाला का आयोजन किया है। 

आयोजन की अवधारणा के संबंध में आयोजकों द्वारा कहा गया है कि उच्च शिक्षा में उत्कृष्टता हासिल करने के लिए शिक्षा प्रणाली (प्राथमिक, माध्यमिक, उच्चतर माध्यमिक, उच्च और व्यावसायिक शिक्षा) में सुधार लाने के लिए प्रतिबद्धता की आवश्यक है। स्वायत्तता और उत्कृष्ट मानव संसाधन के साथ गहन प्रेरणादायी प्रशिक्षण कार्यक्रम, इन्फ्रास्ट्रक्चर को सर्वश्रेष्ठ अनुकूल वातावरण देना भी जरूरी है। प्रदर्शन से जुड़ी प्रतिभाओं को प्रोत्साहन, सभी संबंधित लोगों को समर्थन, सरल नियम बनाने, निगरानी रखने के तरीके, अनुसंधान संस्कृति को बढ़ावा देना, उत्कृष्टता के लिए कौशल की खोज का विकास, मूल्य शिक्षा और अनुभवात्मक अधिगम को महत्व देना भी जरूरी है। 

कार्यशाला में देश भर के लगभग 25 स्वायत्त कॉलेजों के निदेशकों/ प्राचार्यों और महाराष्ट्र और मुंबई विश्वविद्यालय से भी इतने ही कॉलेज भाग ले रहे हैं जो भविष्य के विकास के लिए अपने श्रेष्ठ अनुभवों, विजन और सुझाव को साझा करेंगे। शिक्षाविदों, उद्योग, सरकार, यूजीसी, रूसा, विश्वविद्यालय, आदि से जुड़े प्रमुख विशेषज्ञों को अपने विचार प्रस्तुत करने के लिए कार्यशाला में आमंत्रित किया गया है। कार्यशाला में देशभर से 100 से ज्यादा लोगों के भाग लेने की उम्मीद है।

आयोजकों का मानना है राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) पहले से ही प्रकाशित है। हमें अपनी वर्तमान प्रणाली और एनईपी के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए विचार-विमर्श करना चाहिए। उच्च शिक्षा में अकादमिक, प्रशासनिक और शासन में बड़े सुधार की आवश्यकता है। शिक्षा निवेश का एक सर्वोत्तम स्रोत है। स्वायत्त कॉलेजों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) स्पष्ट रूप से कहती है कि स्नातक शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने का एकमात्र सुरक्षित और बेहतर तरीका संबद्ध कॉलेजों को असंबद्ध करना है। अकादमिक और ऑपरेटिव स्वतंत्रता वाले कॉलेज बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं और अधिक विश्वसनीय भी हैं। ऐसे कॉलेजों को वित्तीय सहायता शिक्षा को मजबूत करेगी। स्वायत्त कॉलेजों को अपने पाठ्यक्रम को आधुनिक बनाने या रोजगार को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय स्तर पर प्रासंगिक और कौशल उन्मुख बनाने के लिए स्वतंत्रता होगी।

सेमिनार के लिए सीमित संख्या में प्रतिभागियों को आमंत्रित किया जाएगा।  इच्छुक लोग कार्यशाला में अपने प्रस्तावित पेपर के 500 शब्दों के साथ-साथ डॉ. नरेश चंद्र, निदेशक, बी.के. बिरला कॉलेज (स्वायत्त), कल्याण, मुंबई- ईमेल director@bkbirlacollegekalyan.com  और इसकी एक प्रति रितिका शर्मा, शैक्षणिक संसाधन अधिकारी, भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, राष्ट्रपति निवास, शिमला-171005 (फोन 0177-2831385) को ईमेल एड्रेस aro@iias.ac.in  पर भेज सकते हैं।

(संपादन : नवल/सिद्धार्थ)


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लेखक के बारे में

कमल चंद्रवंशी

लेखक दिल्ली के एक प्रमुख मीडिया संस्थान में कार्यरत टीवी पत्रकार हैं।

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