“साहित्य से संभव है एक नई दुनिया” इसी थीम पर आधारित है इस बार दिल्ली में आयोजित होने वाला दो दिवसीय दलित साहित्य महोत्सव। यह आयोजन आगामी 16-17 फरवरी, 2020 को दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज में होगा। इस मौके पर प्रो. श्यौराज सिंच बेचैन, प्रो. हेमलता माहेश्वर, प्रो. जयप्रकाश कर्दम, अनिता भारती, प्रो. चौथीराम यादव, प्रो. कालीचरण स्नेही और हरेप्रकाश उपाध्याय सहित अनेक चिंतक व विचारक अपनी बात रखेंगे।

बताते चलें कि दिल्ली में दलित साहित्य महोत्सव की शुरूआत पिछले वर्ष 3-4 फरवरी को किरोड़ीमल कॉलेज में ही हुई थी। इसके संयोजक व किरोड़ीमल कॉलेज में हिंदी के प्रघ्यापक प्रो. नामदेव ने बताया कि इस बार हमारा फोकस हाशिए के लोगों के साहित्य व संस्कृति पर रहेगा। हमारी कोशिश है कि आज के दौर में वंचितों के समक्ष चुनौतियों व उसके उपायों पर विचार हो। हम वंचितों में एकता स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं। इसलिए इस बार के आयोजन में स्त्री विमर्श, आदिवासियों के साहित्य व ओबीसी साहित्य को भी शामिल कर रहे हैं।
प्रो. नामदेव ने बताया कि आयोजन के दौरान हमारी यह कोशिश रहती है कि हम वंचित समाज के लोगों को साहित्य के क्षेत्र में घट रही परिघटनाओं से परिचित कराएं। साथ ही, यह भी कि जिसे मुख्य धारा का साहित्य कहा जाता है, उसमें हमारे सवालों और मुद्दों को किस रूप में चित्रित किया जाता है। महोत्सव के दौरान विभिन्न कलात्मक अभिव्यक्ति के भी आयोजन होंगे जिसके माध्यम से समाज की वास्तविक तस्वीर को दर्शाया जाएगा।
इस बार के आयोजन में आंबेडकरवादी लेखक संघ, एनएपीएम, दलित आदिवासी शक्ति अधिकार मंच, दिल्ली सोलिडियरिटी ग्रुप, रश्मि प्रकाशन और रिदम् पत्रिका (लखनऊ) आदि के अलावा किरोड़ीमल कॉलेज का हिन्दी विभाग की अहम भूमिका है। उन्होंने यह भी बताया कि दलित साहित्योत्सव के दौरान विभिन्न प्रकाशक अपनी पुस्तकों के साथ मौजूद रहेंगे। इनमें पेंग्विन, राजकमल और फारवर्ड प्रेस आदि शामिल हैं। उन्होंने उम्मीद व्यक्त की कि इस बार के आयोजन में भी बड़ी संख्या में लोग शरीक होंगे।
(संपादन : नवल/गोल्डी)