संविधान प्रदत्त आरक्षण के कारण ही देशभर में बहुजनों की राजनीतिक, शैक्षणिक, आर्थिक परिस्थितियों में परिवर्तन आया है। इसी कारण ही बहुजनों ने अपनी कार्यकुशलता से देश की चहुंमुखी विकास करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया है। लेकिन इसके बावजूद अभी भी शासन-प्रशासन में बहुजनों की समुचित भागीदारी नहीं है। एक उदाहरण है हरियाणा के सभी सरकारी विश्वविद्यालयों का, जहां एक भी दलित कुलपति व कुलसचिव नहीं है।