बीते दिनों बिहार की राजधानी पटना में सिक्किम की एक छात्रा के यौन उत्पीड़न का मामला सामने आया। दलित-आदिवासी-ओबीसी छात्र-छात्राओं को इंजीनियरिंग और मेडिकल परीक्षाओं की तैयारी करवाने वाले एकलव्य सुपर फिफ्टी का निदेशक और पटना में ज्वाइंट कमिश्नर रामबाबू गुप्ता को छात्रा से छेड़छाड़ के आरोप में पिछले दिनों गिरफ्तार कर लिया गया। वैसे इस मामले को लेकर विपक्षी दल राजद भी मौन है। बताया जाता है कि आरोपी अधिकारी की राजनीतिक पहुंच उपर तक है। साथ ही वह राजद के एक बड़े नेता का करीबी रिश्तेदार भी है।

न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष दर्ज कराए अपने बयान में पीड़िता ने आरोप लगाया है कि अभियुक्त आईआरएस अधिकारी उसपर गलत निगाह रखता था। पीड़िता के जन्मदिन के मौके पर उसने एक हजार रुपए देकर छोटी ड्रेस खरीदने को कहा। इसके पहले भी वह उसके साथ अश्लील हरकत कर चुका था। छात्रावास की छात्राएं एकजुट हो कर आरोपी के पास पहुंचीं और आरोपी के अपराध स्वीकारोक्ति को मोबाइल पर रिकॉर्ड कर लिया। इस मामले में पटना के दीघा थाना में पीड़िता द्वारा शिकायत दर्ज कराए जाने पर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया।उसके खिलाफ आईपीसी की कई धाराओं के साथ पॉक्सो एक्ट (प्रोटेक्शन ऑफ़ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ओफेंसेज) के तहत मामला दर्ज कर न्यायिक दंडाधिकारी के निर्देश पर कारवास भेज दिया गया है। वहीं आरोपी अधिकारी ने पूरे मामले को अपने खिलाफ साजिश करार दिया है।
बताया जाता है कि आरोपी अधिकारी रामबाबू एकलव्य सुपर फिफ्टी का सिक्किम की सरकार से एक करार है और इस कारण बड़ी संख्या में वहाँ सिक्किम के छात्र व छात्राएं प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए कोचिंग संस्थान के ही छात्रावास में रहते थे।

इस हाई प्रोफाइल मामले में आरोपी नौकरशाह ने दलित-आदिवासी-ओबीसी छात्र-छात्राओं को निःशुल्क शिक्षा देने की अपनी मुहीम के बल पर भी राजनीतिक गलियारे में अच्छी पैठ बना रखी थी। पहली बार वह सुर्खियों में तब आया जब उसके द्वारा अपने गृह जिले सीतामढ़ी में मैट्रिक की पढाई के लिए खोले गये कोचिंग संस्थान से पांच विद्यार्थियों ने बिहार बोर्ड परीक्षा में टॉप किया। इसके बाद इन विद्यार्थियों को सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी सम्मानित किया। इतना ही नहीं, केन्द्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा की गोद ली गयी बेटी ने भी एकलव्य सुपर फिफ्टी से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी की थी। गौरतलब है कि एकलव्य सुपर फिफ्टी के बहुजन उत्थान के कार्यों का संज्ञान लेते हुए एक रिपोर्ट इस वेब पोर्टल (फारवर्ड प्रेस) पर भी पिछले वर्ष प्रकाशित हुई थी।
बहरहाल यह घटना दलित-आदिवासी-ओबीसी समाज के लिए एक सबक की तरह है। ओबीसी समुदाय से ही आने वाले एक अधिकारी का यह प्रयास पहली नजर में तो प्रशंसनीय दिखता है, लेकिन अभिभावकों को चाहिए कि ऐसे मामलों में बच्चों को पढ़ने के लिए भेजने के पहले संस्थान से जुड़े लोगों के पृष्ठभूमि की जानकारी जरूर ले लें।
फारवर्ड प्रेस वेब पोर्टल के अतिरिक्त बहुजन मुद्दों की पुस्तकों का प्रकाशक भी है। एफपी बुक्स के नाम से जारी होने वाली ये किताबें बहुजन (दलित, ओबीसी, आदिवासी, घुमंतु, पसमांदा समुदाय) तबकों के साहित्य, सस्कृति व सामाजिक-राजनीति की व्यापक समस्याओं के साथ-साथ इसके सूक्ष्म पहलुओं को भी गहराई से उजागर करती हैं। एफपी बुक्स की सूची जानने अथवा किताबें मंगवाने के लिए संपर्क करें। मोबाइल : +919968527911, ईमेल : info@forwardmagazine.in
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