गांधी शांति प्रतिष्ठान की ओर से स्थापित व संचालित कुलदीप नैयर पत्रकारिता सम्मान के दूसरे वर्ष के लिए संचालन समिति ने 2018 के लिए प्रविष्ठिया मांगी गई हैं। उल्लेखनीय है कि यह सम्मान प्रिंट या इलैक्ट्रानिक मीडिया में काम करने वाले भारतीय भाषा के किसी भी प्रत्रकार को दिया जाता है। प्रतिष्ठान की ओर से पहला पुरस्कार देश के जाने माने एनडीटीवी के एंकर व वरिष्ठ कार्यकारी संपादक रवीश कुमार को दिया गया था। इसके तहत एक लाख रुपए की राशि, मानपत्र और प्रतीक चिन्ह दिया जाता है।

गांधी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष कुमार प्रशांत ने जानकारी देते हुए बताया कि यह सम्मान का उद्देश्य अभिव्यक्ति की आजादी को नियंत्रित करने की राजनीतिक-सामाजिक-धार्मिक-आर्थिक आदि कोशिशों का निषेध करने के लिए तथा अभिव्यक्ति की आजादी को पत्रकारों का सामूहिक बल देना है। सम्मान की शुरुआत 2017 में की गई थी। इस सम्मान किसी भी महिला या पुरुष पत्रकार को दिया जा सकता है जो किसी भी भारतीय भाषा और माध्यम में काम कर रहा हो। इसके लिए संबंधित पत्रकार के लेखन की मूल प्रति के साथ हिंदी में अनुवाद, पूरा व्यक्तिगत व लेखकीय परिचय और पत्रकारिता में उनकी उपलब्धियों का विवरण भेजना अनिवार्य होगा। इस साल के लिए नामांकन की अंतिम तिथि 31 अगस्त 2018 है।
नामांकनों पर सम्मान योजना की संचालन, चयन समिति विचार करेगी और तयशुदा निर्देशों के मुताबिक चयन करेगी। सम्मान की घोषणा सितंबर 2018 में होगी जबकि सम्मान समारोह अक्टूबर में आयोजित होगा। प्रतिष्ठान के मंत्री अशोक कुमार ने कहा कि गांधी शांति प्रतिष्ठान पत्रकारों से अनुरोध करता है कि वे अपना नामांकन गांधी शांति प्रतिष्ठान, 221–223 दीनदाल उपाध्याय मार्ग, नई दिल्ली- 110002 के पते पर भेजें। लिफाफे के ऊपर ‘पत्रकारिता सम्मान-2018’ अवश्य लिखें।
संचालन समिति की बैठक में चयन के आधार पर किया गया विचार
2018 के पुरस्कार की प्रक्रिया तय करने के लिए संचालन समिति की बैठक बीते 28 अप्रैल 2018 को गांधी शांति प्रतिष्ठान कार्यालय में आहूत की गई थी। गौर तलब है कि पुस्कार के लिए गठित संचालन समिति में कुलदीप नैयर के अतिरिक्त गांधी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष कुमार प्रशांत, राजनीतिशास्त्री आशीष नंदी, जनसत्ता के पूर्व संपादक ओम थानवी, वरिष्ठ पत्रकार नीरजा चौधरी, संजय पारीख, रिजवान कैसर, प्रियदर्शन, अशोक कुमार, जयशंकर गुप्त, विजय प्रताप व फारवर्ड प्रेस के प्रबंध संपादक प्रमोद रंजन हैं। बैठक में प्रतिष्ठान के अध्यक्ष कुमार प्रशांत ने कहा कि यह वार्षिक पुरस्कार भारतीय भाषा के उस पत्रकार को दिया जाना है, जो देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक मूल्यों तथा नागरिक स्वाधीनताओं की रक्षा के लिए उत्कृष्ट पत्रकारिता कर रहा हो। इस लिहाज से देश भर की भाषाओं में हो रही पत्रकारिता के बारे में जानकारी जुटाना एक बड़ी चुनौती है।
बैठक में यह सवाल भी उठा कि चयन का आधार क्या होना चाहिए? राष्ट्रीय या स्थानीय महत्व के मुद्दे को लेकर हो रही पत्रकारिता तक हम किस तरह पहुंचेंगे। संजय पारीख ने सवाल उठाया कि स्थानीय स्तर पर जो लेखन हो रहा है वह चयन समिति तक कैसे पहुंचेगा? जयशंकर गुप्त ने राष्ट्रीय स्तर पर विज्ञापन देने तथा प्रविष्टियां मंगाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि हम बड़े या लोकप्रिय नामों से मंत्रमुग्ध न हों और प्रिंट तथा इलैक्ट्रानिक को बदल-बदल कर प्रति वर्ष पुरस्कार दें। प्रमोद रंजन ने सुझाव दिया कि हर वर्ष के लिए एक भाषा तय करके प्रविष्टियां मंगाई जा सकती हैं। बैठक में संजय पारीख और कुमार प्रशांत का मानना था कि चयन को दायरे में न बांधकर खुला रखें। काफी विचार-विमर्श के बाद फैसला लिया गया कि इस साल के लिए वर्तमान संचालन समिति ही चयन समिति के रूप में भी कार्यरत रहेगी। अगले वर्ष के लिए चयन समित के निर्माण पर इस वर्ष के पुरस्कार के बाद विचार किया जाएगा।
गांधी शांति प्रतिष्ठान के मंत्री अशोक कुमार ने बताया कि वर्ष 2018 के पत्रकारिता सम्मान के लिए एक गरिमामय भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा।
(कॉपी एडिटर : नवल)
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