खुद को महिषासुर की बेटी घोषित करने वाली डॉ. सौरभ सुमन पर हत्या की सुपारी देने और देह व्यपार करवाने का आरोप लगाया गया है। डॉ. सुमन सामाजिक कार्यों के लिए राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित हो चुकी हैं तथा पिछले सात वर्षों से अपने क्षेत्र में डंके की चोट पर महिषासुर शहादत दिवस का आयोजन करती रही हैं। वे बाल श्रम व महिला अधिकारों के लिए जमीनी स्तर पर काम करती रहीं हैं तथा अपनी तकरीरों में ब्राह्मणवाद की सांस्कृतिक गुलामी का मुखर विरोध करती रहीं हैं।

हालिया घटनाक्रम में डॉ सौरभ सुमन पर बिहार के नवादा जिला के राष्ट्रीय जनता दल की जिला इकाई के महासचिव कैलाश पासवान की हत्या करवाने का आरोप है। स्थानीय पुलिस का कहना है कि डॉ. सुमन को छोटू गुप्ता नामक अभियुक्त की स्वीकारोक्ति के बाद अभियुक्त बनाया गया है। पुलिस का कहना है कि छोटू गुप्ता ने बयान दिया है कि डॉ. सुमन ने उसे एक लाख रुपये और एक कट्ठा (1361 वर्ग फीट) जमीन के बदले कैलाश पासवान की हत्या की सुपारी दी थी।
डॉ सुमन ने इस मामले में बीते 16 जुलाई को अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया है, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया है। आत्मसमर्पण के पहले पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने अपने पर लगाये गये आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उन्हें बदनाम करने के लिए उच्च-स्तर पर साजिश रची गई है। पुलिस ने छोटू गुप्ता से उनके खिलाफ जबरन बयान दिलवाया है। उन्होंने बताया कि उन्होंने छोटू गुप्ता को कोई रकम नहीं दी, बल्कि उलटे गुप्ता ने उनकी एक कट्ठा (1361) जमीन खरीदी है और उसके बदले में उनको एक लाख रुपये का भुगतान किया है।

मामला केवल इतना ही नहीं है कि डॉ. सौरभ सुमन के पर हत्या की सुपारी देने का आरोप है। उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा और अस्तित्व को खत्म करने की भी कोशिश की गई है। कहा जा रहा है कि मृतक कैलाश पासवान के पुत्र संजय पासवान ने उनके गैरसरकारी संगठन (बिहार सेवा संस्थान) पर देह व्यापार करवाने का आरोप लगाया है। अनेक हिंदी-अंग्रेजी अखबारों के स्थानीय संस्करणों में इस तरह की खबर को मिर्च-मसाला लगाकर प्रस्तुत किया जा रहा है। पुलिस इस मामले में कुछ भी कहने से परहेज कर रही है।
आरएसएस की नई प्रयोगशाला की बिघ्नकर्ता
पुलिस द्वारा इस बारे में चर्चा से परहेज कई सवाल खड़े करता है। बिहार में भाजपा का अग्रणी हिंदुत्ववादी चेहरा बन रहे गिरिराज सिंह नवादा से ही सांसद हैं। उनके सांसद बनने के बाद से पिछले चार वर्षों में बिहार के नवादा जिले में सबसे अधिक सांप्रदायिक दंगे हुए हैं। इस बात की पुष्टि बिहार पुलिस की आधिकारिक वेबसाइट पर भी की होती है। वेबसाइट के अनुसार इस वर्ष ही 76 दंगे हुए हैं। नवादा के सामाजिक कार्यकर्ता उपेंद्र पथिक के अनुसार रामनवमी और दशहरा के मौके पर नवादा अशांत जिला बन जाता है। हालत यह हो जाती है कि प्रशासन को इंटरनेट का उपयोग प्रतिबंधित करना पड़ता है।

इन बदले हालातों में भी डॉ. सुमन सौरभ प्रति वर्ष महिषासुर शहादत दिवस समारोह तो मनाती ही रही हैं, जोती राव फुले और सावित्री बाई फुले की जयंती आदि के मौके पर भी लोगों को जागरूक करती रही हैं। आज के नवादा में उनकी गतिविधियों से आरएसएस के लोगों में खलबली मचना लाजमी है। आखिर अारएसएस यह कैसे पचा सकता है कि बहुजन विचारों को मानने वाली एक महिला राष्ट्रपति से सम्मान भी हासिल करे और पूरे दमखम के साथ ब्राह्मणवाद पर हमले भी करती रहे!
दलित परिवार में पली, ओबीसी परिवार में बढी, बुद्ध के मार्ग पर चली
आखिर बिहार के सुदूर जिले नवादा में जहां आज भी सामंतों का वर्चस्व बरकरार है, खुद को महिषासुर की बेटी कहने और ब्राह्मणवाद से लोहा लेने वाली डॉ सौरभ सुमन कौन है?
डॉ. सौरभ सुमन 2016 में नवादा से लेकर पटना तक के अखबारों की सुर्खियां बनीं जब उन्हें राष्ट्रपति द्वारा दिये जाने वाले ‘नारी शक्ति सम्मान’ के लिए चयनित किया गया। यह सम्मान उन्हें 8 मार्च 2016 को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने प्रदान किया। इसके पहले नवादा और आसपास के इलाकों में बहुजन विचारों को मुखर तरीके से रखने के कारण भी वे चर्चित थीं। वर्ष 2010 में उन्होंने नवादा जैसे इलाके में महिषासुर शहादत दिवस समारोह मनाना शुरू किया। इसके लिए उन्हें समाज के प्रभुत्वशाली तबके प्रकोप भी झेलना पड़ा था। जैसा कि फारवर्ड प्रेस के साथ 2016 में बातचीत के दौरान उन्होंने खुद कहा था- “मनुवादी विचारों के कारण समाज में फैली कुरीतियों के खिलाफ संघर्ष को मैंने संकल्प लिया था। लोगों को जागरूक करने के लिए मैंने 2010 में पहली बार महिषासुर शहादत दिवस समारोह मनाने का निर्णय लिया। इसके लिए सबसे पहले अपने घर के सदस्यों को मानसिक रूप से तैयार किया। काफी विरोध हुआ और मुझे सामाजिक प्रताड़ना झेलनी पड़ी। इसके बावजूद मैं निराश नहीं हुई।”
अलीगढ़ विश्चविद्यालय से कृषि विज्ञान में पीएचडी डॉ. सौरभ सुमन की जीवन यात्रा अत्यंत ही संघर्षमय रही है। 1980 में जब वह छोटी थीं तब उनके पिता कामेश्वर सिंह को एक सामंत की हत्या के आरोप में फांसी की सजा सुनायी गयी थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा को रद्द कर दिया था। माता का निधन पहले ही हो चुका था। लिहाजा पिता की अनुपस्थिति में डॉ. सौरभ सुमन का लालन-पालन एक मुसहर परिवार ने किया जो बिहार में महादलित की सूची में शामिल है। जबकि उनका जन्म कुशवाहा (ओबीसी) परिवार में हुआ था।
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डॉ. सौरभ सुमन ने अपनी पढ़ाई-लिखाई के लिए सिलाई की। इसमें बिहार सेवा संस्थान ने उनकी मदद की। बाद में वह स्वयं इस संस्थान से जुड़ गयीं तथा आज वे इसकी सचिव हैं। यह वही संस्थान है जिसके बारे में आरोप लगाया जा रहा है कि उन्होंने देह व्यापार करवाया। इस संस्थान के परिसर में उन्होंने बुद्ध की प्रतिमा स्थापित की है। डॉ सौरभ सुमन खुद बौद्ध धर्म को स्वीकार कर चुकी हैं।
नवादा के सामंत आज भी उन्हें उस पिता की बेटी के रूप में देखते हैं जो नक्सल आंदोलन से जुड़े थे और उन्होंने 1980 में एक दबंग सामंत की हत्या की थी।
क्या है पूरा मामला?
संभावनाओं से इतर, घटनाक्रम पर नजर डालें तो मामले के ‘फैब्रिकेटेड’ होने यानी आरोप गढ़े जाने के संकेत मिलते हैं। यह मामला बीते 7 जुलाई 2018 को कैलाश पासवान की अपहरण के बाद हुई हत्या से जुड़ा है। राजद नेता कैलाश पासवान स्थानीय स्तर पर काफी दबंग माने जाते थे। नवादा जिले में दलित होने के बावजूद दबंग होना मायने रखता है। पुलिस को उनकी लाश दो हिस्सों में मिली थी। धड़ नालंदा के खुदागंज थाना के छबीलापुर गांव के बधार में मिला था तो सिर नवादा के नारदीगंज गांव में पंचाने नदी के किनारे गाड़ दिया गया था। नवादा के एसपी हरि प्रसाद के अनुसार अपराधियों ने ऐसा साक्ष्य छिपाने के इरादे से किया था, ताकि मृतक की पहचान न हो सके।
मामला राजद नेता से जुड़ा था। बिहार में आये दिन विपक्षी नेताओं की हत्याओं को लेकर बैकफुट में चल रही नीतीश सरकार के पुलिसिया तंत्र ने इस मामले में एक्शन लेने में कोई देरी नहीं की। मामले की प्राथमिकी नवादा के टाउन थाना में 8 जुलाई को तब दर्ज करायी गयी जब कैलाश पासवान की लाश नालंदा के छबीलापुर गांव के बधार में बरामद हो गयी और उसकी पहचान परिजनों ने कर दी। पुलिस की सक्रियता की एक वजह यह भी कि मृतक का धड़ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले में बरामद हुआ था।
टाउन थाना के प्रभारी ने फारवर्ड प्रेस को दूरभाष पर बताया कि प्राथमिकी मृतक कैलाश पासवान के पुत्र संजय कुमार पासवान ने दर्ज करायी। प्राथमिकी में छोटू गुप्ता और किरण देवी को नामजद किया गया था। पुलिस ने इसी आधार पर छोटू गुप्ता को को झारखंड के बोकारो स्थित चंदन कियारी से गिरफ्तार किया था। पुलिस द्वारा पूछताछ के दौरान छोटू ने बताया कि इस हत्याकांड में गोतराइन गांव के विवेक कुमार व गौतम कुमार और कादिरगंज के गोपालपुर निवासी अनुज कुमार भी शामिल हैं। छोटू के बयान पर गिरफ्तार विवेक और गौतम ने श्री पासवान का सिर नारदीगंज के पंचाने नदी से निकाला। इसके साथ ही छोटू गुप्ता ने इस मामले में डॉ. सौरभ सुमन का नाम भी लिया और आरोप लगाया कि उन्होंने ही कैलाश पासवान को मारने की सुपारी दी थी।
यहां यह उल्लेख करना जरूरी है कि पुलिस ने छोटू गुप्ता को तो गिरफ्तार किया लेकिन किरण देवी पर हाथ तक नहीं डाला। टाउन थाना प्रभारी इस बारे में खुलकर कुछ नहीं बताते।
किसी भी हत्या के पीछे एक मोटिव होता है। मोटिव, यानी हत्या का उद्देश्य। पुलिस के ही मुताबिक कैलाश पासवान की हत्या करवाने के पीछे डॉ. सौरभ सुमन के पास कोई मोटिव था या नहीं, स्पष्ट नहीं है। हालांकि उसके पास कहने को केवल इतना है कि एक जमीन विवाद का मामला चल रहा है। दिलचस्प यह कि यह मामला संजय यादव और डॉ. सौरभ सुमन के बीच का है। इसमें मृतक कैलाश पासवान की कोई भूमिका है ही नहीं।
कैलाश पासवान, किरण देवी और डॉ. सौरभ सुमन का रिश्ता
मृतक कैलाश पासवान के भाई शैलेंद्र पासवान जो कि नवादा जिले के हिसुआ प्रखंड के अध्यक्ष भी हैं, बताते हैं कि उनके भाई की हत्या में किरण देवी की कोई भूमिका नहीं है। हालांकि किरण देवी और कैलाश पासवान के बीच रिश्ते की बात को वे टाल जाते हैं। हालांकि स्थानीय समाचार पत्रों ने लिखा है कि किरण देवी कैलाश पासवान की ‘दूसरी’ पत्नी हैं। लेकिन उनके रिश्तों को जानने वाले लोग बताते है कि वे वैधानिक रूप से पति-पत्नी नहीं थे। कैलाश पासवान ने किरण देवी को बीस वर्ष पहले आसरा दिया था। उनकी तीन बेटियों के लालन-पालन से लेकर पढाई-लिखाई सब का खर्च उन्होंने ही वहन किया था।
कैलाश पासवान के पुत्र (समाचार पत्रों के अनुसार ‘पहली’ पत्नी से) संजय पासवान ने सौरभ सुमन पर आरोप लगाया है कि वह संस्थान की आड़ में देह-व्यापार करती हैं। इसकी जानकारी उनके पिता कैलाश पासवान को हो गयी थी। जबकि स्थानीय लोगों के मुताबिक कैलाश पासवान और डाॅ. सौरभ सुमन के बीच अच्छे सामाजिक संबंध थे। किरण देवी की तीनों बेटियों की पढ़ाई-लिखाई में उनकी अहम भूमिका थी। उनके रिश्ते इतने मधुर थे कि सामान्य विचार-विमर्श में भी वह दखल रखती थीं।
कई पेचोखम हैं इस मामले में
पुलिस के द्वारा जो बातें अबतक मीडिया के जरिए प्रकाश में लायी गयी हैं, वह अपने आप में कई सवालों को जन्म देती हैं। पहला सवाल तो यही कि जब मृतक के पुत्र ने किरण देवी पर अपने पिता की हत्या करवाने का शक जाहिर किया तब पुलिस ने उनसे पूछताछ क्यों नहीं की? इस मामले में तथ्य छिपाने का प्रयास मृतक के परिजन कर रहे हैं। मृतक के भाई शैलेंद्र पासवान ने भी फारवर्ड प्रेस के साथ बातचीत में ऐसा किया। उन्होंने किरण देवी के बारे में कुछ भी बताने से इन्कार किया।

परत दर परत यदि सारी घटनाओं को देखें तो कहानी कुछ और ही प्रतीत होती है। यह बात स्थानीय लोगों से बातचीत में भी सामने आयी है कि कैलाश पासवान के परिजन किरण देवी को परिवार का हिस्सा मानने से भी इन्कार करते हैं। जाहिर तौर पर इसके पीछे उनकी मंशा यही रही होगी कि किरण देवी और उनकी बेटियों को कैलाश पासवान की संपत्ति में हिस्सेदारी न मिल सके। इसलिए वे उनके रिश्ते का दस्तावेजीकरण नहीं होने देना चाहते। किरण देवी से पूछताछ नहीं कर पुलिस भी उनकी मदद कर रही है।
बहरहाल, यह तो साफ है कि कैलाश पासवान हत्याकांड मामले में एक ऐसी महिला को फंसाया जा रहा है जो बहुजन विचारों के लिए प्रतिबद्ध रही है। पुलिस भी इस मामले में बैकफुट पर दिखती है। कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि डॉ. सौरभ सुमन को स्वयं को महिषासुर की बेटी घोषित करने की सजा दी जा रही है। डॉ सुमन के साथियों व प्रशंसकों को विश्वास है कि भारतीय न्याय व्यवस्था उनके पाक-साफ होने पर मुहर लगाएगी तथा उन्हें बदनाम करने की मुहिम चलाने वाले लोग शर्मिंदा होंगे।
डॉ. सौरभ सुमन का सफर
6 जुलाई 1971 को नवादा के अकबरपुर थाने के बकचंदा गांव में जन्म
1980 में एक सामंत की हत्या के आरोप में पिता कामेश्वर प्रसाद को जेल
1992 में बिहार सेवा संस्थान से जुड़ीं
8 मार्च 2016 को राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने नारी शक्ति सम्मान दिया
हत्या का आरोप
6 जुलाई 2018 को कैलाश पासवान के गुम होने की सूचना
7 जुलाई 2018 को कैलाश पासवान का धड़ नालंदा में बरामद
8 जुलाई 2018 को परिजनों ने नवादा के टाउन थाना में प्राथमिकी दर्ज करायी
9 जुलाई 2018 को छोटू गुप्ता गिरफ्तार
10 जुलाई 2018 को छोटू गुप्ता की निशानदेही पर बिहार सेवा संस्थान के सचिव उमेश सिंह बौद्ध गिरफ्तार
16 जुलाई 2018 को डॉ. सौरभ सुमन ने नवादा की निचली अदालत में किया आत्मसमर्पण
(कॉपी एडिटिंग : अनिल)
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