नई दिल्ली। लोजपा, दलित सेना और दलित-आदिवासी संगठनों की धमकियों के बाद आखिरकार एससी/एसटी एक्ट में संशोधन को केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को मंजूरी दे ही दी। यह संशोधित बिल को मानसून सत्र में ही संसद में पेश किया जाएगा। लोजपा, दलित सेना और बाकी सभी एससी/एसटी संगठन इसे बड़ी जीत मान रहे हैं। हालांकि इससे पहले लोजपा प्रमुख सह केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान व एनडीए में शामिल अन्य सरकार पर अध्यादेश लाने की मांग कर रहे थे। लेकिन सरकार ने उनकी मांग को बाईपास करते हुए सदन में सीधे संशोधन विधेयक पेश करने का निर्णय लिया है।
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अब सवाल यह है कि क्या सरकार वाकई इन संगठनों की धमकियों से डर गई या एससी और एसटी के वोट बैंक को खोना नहीं चाहती? खैर जो भी हो, इस बिल से एससी/एसटी के लोगों को राहत जरूर मिलेगी। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, एससी-एसटी एक्ट के मूल प्रावधानों को दोबारा लागू करने के लिए संशोधन के साथ केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है।
इससे पहले लोक जनशक्ति पार्टी से जुड़ी दलित सेना ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले से अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण कानून के कमजोर होने का हवाला देते हुए सरकार से इसमें सुधार के लिए जल्द से जल्द अध्यादेश जारी करने की मांग की थी। दलित सेना ने कहा था कि ऐसा नहीं किये जाने पर वह 9 अगस्त से आन्दोलन शुरू करेगी। दोनों नेताओं ने कहा था कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति कानून के कुछ प्रावधानों को लेकर उच्चतम न्यायालय ने 20 मार्च को एक फैसला दिया था, जिससे यह कानून कमजोर हुआ है। इससे दलित समुदाय में आक्रोश है। उन्होंने कहा कि इस फैसले को देने में शामिल एक न्यायाधीश को राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण का अध्यक्ष बना दिया गया है जिससे लोगों में और आक्रोश बढ़ गया है।
बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने हाल में फैसला सुनाते हुए इस एक्ट के तहत तुरंत गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। जिसके बाद पूरे देश में विरोध-प्रदर्शन भी हुए थे।
(कॉपी एडिटर : नवल)
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