फॉलोअप : प्रह्लाद मेघवाल प्रकरण
बीते 27 अगस्त 2018 को फारवर्ड प्रेस वेब पर एक खबर प्रकाशित की गयी। यह खबर केरल में बाढ़ राहत शिविर के दौरान छुआछूत के विरोध में दलित समुदाय द्वारा एफआईआर दर्ज कराये जाने पर आधारित थी। इसी खबर को राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले के छोटी सादड़ी थाना के निवासी विकलांग अधिवक्ता प्रह्लाद मेघवाल ने व्हाट्सअप ग्रुप में शेयर किया था। इसे लेकर वहां के जाति विशेष के लोग भड़क गये और थाने में इसकी शिकायत दर्ज करा दी। अब इस मामले में हालांकि दहशत के कारण सशंकित प्रह्लाद ने माफी मांग ली। लेकिन उनकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस पर दबाव बनाया जा रहा है। वहीं इस मामले में नया अपडेट यह भी है कि प्रह्लाद के समर्थन में विभिन्न संगठनों के लोग जुट गये हैं।–संपादक
क्या एक सच्ची खबर को शेयर करना अपराध है?
- प्रेमा नेगी
बीते 6 सितंबर 2018 को राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले के छोटी सादड़ी थाना में करीब चार-पांच सौ की संख्या में ब्राह्मण समाज के लोगों ने शिकायत दर्ज कराया था। मामला फारवर्ड प्रेस द्वारा प्रकाशित एक खबर से जुड़ा है। खबर केरल में बाढ़ में फंसे ब्राह्मणों द्वारा दलितों के हाथ से बना खाना नहीं खाने से संबंधित थी। खबर का शीर्षक था – ‘केरल : बाढ़ में फंसे सवर्णों ने दलितों के हाथ से बना खाना खाने से किया इंकार, मामला दर्ज’।
जब इस खबर को दोनों पैरों से विकलांग दलित अधिवक्ता प्रह्लाद मेघवाल ने व्हाट्अप ग्रुप में शेयर किया तब लोग भड़क गये। हालांकि इस मामले में अभी तक पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गयी है। लेकिन प्रतापगढ़ जिला भाजपा के प्रवक्ता और ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष घनश्याम मेनारिया ने एक वीडियो जारी किया है। इसमें वह कहते सुनाई दे रहे हैं कि सामाजिक वैमनस्यता फैलाने के लिए प्रहलाद को जल्द से जल्द पुलिस गिरफ्तार करे।
हालांकि प्रह्लाद ने व्हाट्सअप ग्रुप में माफी मांग ली है। उन्होंने लिखा है कि “मेरी वजह से किसी को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से ठेस पहुंची हो तो मैं इसके लिए क्षमाप्रार्थी हूं।” इसके बावजूद ब्राह्मण समाज उनपर दबाव बना रहा है कि उन्होंने फारवर्ड प्रेस की जिस खबर को शेयर किया है, उसके लिए वह माफी मांगकर अपना वीडियो सोशल मीडिया पर डाल दें तो हम मामला वापस ले लेंगे। किसी तरह की कोई हिंसक गतिविधि नहीं करेंगे।
केरल में बाढ़ राहत शिविर के दौरान छुआछूत को लेकर एफआईआर दर्ज हुई थी
आंबेडकर जन क्रांति मंच व विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े हैं प्रह्लाद आंबेडकर
ब्राह्मण समाज के लोग वीडियो बनाकर माफी मांगने का दबाव बना रहे हैं
वहीं बढ़ते दबाव को लेकर प्रह्लाद सशंकित हैं। वे इतने डरे हुए हैं कि उन्होंने अपना घर छोड़ दिया है और भागे-भागे फिर रहे हैं। साथ ही उन्होंने पत्नी व बच्चों को दूर भेज दिया है। उन्हें डर है कि कहीं असमाजिक तत्व उन पर हमला न कर दे।
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यह दहशत ही है कि खुद लोगों की पैरवी करने के लिए अदालत में जाने वाले प्रहलाद को हमेशा यही आशंका घेरे रहती है कि कब पुलिस उनकी गिरफ्तारी कर लेगी। हालांकि उन्होंने केरल में बाढ़ राहत शिविर के दौरान छुआछूत करने वाले ब्राह्मणों के खिलाफ केरल के अलापुझा जिले के हरिपद पुलिस स्टेशन में दलितों द्वारा दर्ज एफआईआर नंबर 1368/2018 भी छोटी सादड़ी थाने में मुहैया करा दिया है ताकि पुलिस यह जान ले कि उन्होंने जो खबर शेयर की थी, वह फेक नहीं थी और न ही उनका इरादा समाज में वैमनस्य फैलाना था।
प्रह्लाद को मिल रहा विभिन्न संगठनों का समर्थन
हालांकि इस समय प्रहलाद को विभिन्न सामाजिक संगठनों मसलन आंबेडकर जनक्रांति मंच और मेघवाल समाज से जुड़े लोगों का समर्थन मिल रहा है। अम्बेडकर जनक्रांति मंच प्रतापगढ़ के जिला अध्यक्ष भरत कुमार खटीक इसे ब्राह्मणों की दबंगई करार देते हुए कहते हैं, “प्रहलाद ने ऐसा कोई गैरकानूनी काम नहीं किया था। उन्होंने फारवर्ड प्रेस की जो खबर पोस्ट की उसके प्रूफ उनके द्वारा प्रस्तुत एफआईआर में हैं, जिसे केरल में दलितों ने बाढ राहत शिविर में छूआछूत करने वाले ब्राह्मणों के खिलाफ करवाया है । बावजूद इसके मामले को शांत करने और वैमनस्य का माहौल न कायम हो, इसके लिए जिस वाट्सअप ग्रुप पर उन्होंने खबर शेयर की थी, माफी भी मांग ली। मगर इसके बावजूद थाने में जाकर परिवाद दर्ज करवा पुलिस पर उनकी गिरफ्तारी का प्रेशर क्रिएट करना बहुत गलत है।”
बहुजन विमर्श को विस्तार देतीं फारवर्ड प्रेस की पुस्तकें
वहीं मेघवाल समाज प्रतापगढ़ के जिला अध्यक्ष नेतराम मेघवाल कहते हैं, “ब्राह्मण समाज के लोगों ने प्रहलाद को इसलिए निशाना बनाया है कि “हम लोगों को डराया जा सके, ताकि हम आगे से सवर्णों के अत्याचार के खिलाफ कोई आवाज न उठा पाएं। प्रहलाद ने ऐसा कोई भी जुर्म नहीं किया है जिसके लिए उस पर कोई मुकदमा दर्ज किया जाए या फिर उसकी गिरफ्तारी की जाए। यहां प्रहलाद को निशाना बनाने का कारण सिर्फ वह न्यूज शेयर करना नहीं रहा, बल्कि वो पहले से ही हमारे संगठन से खार खाए बैठे थे। उन्हें लग रहा होगा कि इनका एक आदमी जो कि फ्रंट पर काम कर रहा है अंदर हो जाएगा तो ये लोग हमारी ज्यादतियों या समाज में दलितों, पिछड़ों और महिलाओं पर होने वाले अत्याचार पर चुप्पी साध लेंगे। परंतु वे गलतफहमी में हैं, हम संगठित तौर पर प्रहलाद के साथ हैं और गलत के खिलाफ एकजुटता दिखाएंगे।”
दलित आदिवासी एवं घुमन्तू अधिकार अभियान राजस्थान ‘डगर’ के संस्थापक और शून्यकाल के संपादक भंवर मेघवंशी ने भी कहा. “दलित कार्यकर्ता और वकील प्रह्लाद मेघवाल द्वारा व्हाट्सएप समूह में केरल से संबंधित खबर के पोस्ट की है तो इसमें उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है। केरल बाढ़ राहत में दलितों के साथ भेदभाव कोई बनावटी आरोप नहीं है, न ही उन्होंने कोई फेक न्यूज शेयर की है। केरल में सवर्णों द्वारा राहत कैंपों में किए गए भेदभाव पर 22 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो चुका है और मीडिया में यह बात आ चुकी है। एक सार्वजनिक बात को और अधिक सार्वजनिक करने में क्या बुराई है। इस तरह से कोई सक्षम सवर्ण समुदाय दलितों की आवाज़ दबाना चाहेगा तो हम दबेंगे नहीं, हम लोग प्रहलाद मेघवाल के साथ हैं।”
बहरहाल इस संबंध में छोटी सादड़ी थाना के प्रभारी प्रवीण टांक ने फारवर्ड प्रेस को दूरभाष परकहा कि वेअभी छुट्टियों से लौटे हैं इसलिए उन्हें मामले की जानकारी नहीं है, वे देखकर बताएंगे। मगर उसके बाद उनसे संपर्क करने की कई बार कोशिश की गई, बात नहीं हो पाई। इसके अलावा प्रतापगढ़ के पुलिस अधीक्षक शिवराज मीणा ने फारवर्ड प्रेस से पहले हुई बातचीत में कहा था कि वे थाना प्रभारी से इस संबंध में जानकारी ले रहे हैं, मगर अब दसियों बार फोन मिलाने के बावजूद उन्होंने फोन नहीं उठाया।
(कॉपी संपादन : एफपी डेस्क/रंजन)
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