झारखंड हाईकोर्ट ने ‘मोमेंटम झारखंड’ फर्जीवाड़ा मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो को एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट के कड़े रूख की वजह से रघुबर दास सरकार पर सवाल खड़े हो गये हैं। क्या ‘मोमेंटम झारखंड’ कार्यक्रम का आयोजन सरकार ने जनता के पैसे को दोनों हाथों से लुटवाने को किया था?
उल्लेखनीय है कि 16 फरवरी 2017 झारखंड की राजधानी रांची में ‘ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट मोमेंटम झारखंड’ का आयोजन हुआ था जिसमें केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली सहित तत्कालीन केंद्रीय मंत्री वैंकेया नायडू, नितिन गडकरी, पीयूष गोयल, स्मृति ईरानी एवं देश-दुनिया से कई बड़े उद्योगपति शरीक हुए थे। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री रघुबर दास ने उद्योगपतियों को झारखंड में निवेश करने का आह्वान किया था। राज्य सरकार की ओर से तत्कालीन मुख्य सचिव राजबाला वर्मा ने अपने भाषण में कहा था कि ‘इज ऑफ डूइंग बिजनेस’ में झारखंड टॉप पर है। साथ ही लेबर रिफॉर्म्स में भी झारखंड नंबर एक पर है। इंवेस्टमेंट के लिए जमीन सबसे अहम होती है। इसे ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने लैंड बैंक बनाया है, जहां आज निवेश के लिए 2.1 मिलियन एकड़ जमीन उपलब्ध है।

जाहिर तौर पर राज्य सरकार ने निवेशकों को सस्ते श्रम और आदिवासियों की जमीन का लालच दिया। इसी कार्यक्रम को लेकर बाद में एक के बाद एक कई घोटाले सामने आये।
इस संबंध में दीवान इंद्रनील सिन्हा ने झारखंड हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट राजीव कुमार ने कोर्ट को मोमेंटम झारखंड के दौरान हुए फर्जीवाड़ा की जानकारी दी। मामले को संज्ञान में लेते हुए चीफ जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस डीएन पटेल की बेंच ने एसीबी (एंटी करप्शन ब्यूरो) को मामले पर एफआईआर करने को कहा। इस मामले में झारखंड सरकार भी आरोपी है।
अब जबकि हाईकोर्ट ने एफआईआर दर्ज करने का आदेश दे दिया है। लिहाजा झारखंड सरकार बुरी तरह फंसती नजर आ रही है।

एक लाख की पूंजी, 1500 करोड़ रुपए की डील, फर्जीवाड़ा का नया तरीका
राज्य सरकार पर आरोपों की सूची लंबी है। एक बड़ा आरोप तो यह है कि ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट मोमेंटम झारखंड के आयोजन के दौरान सरकार ने नए और कम पूंजी वाली कंपनियों के साथ अरबों रुपए का करार किया है। साथ ही यह भी आरोप है कि आयोजन में सरकारी खजाने का पैसा पानी की तरह बहाया गया।
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मोमेंटम झारखंड के पीछे का सबसे चौंकाने वाला मामला यह है कि सरकार ने एक ऐसी कंपनी से करार किया है, जो सिर्फ 39 दिन पहले ही पंजीकृत हुई थी। भारत सरकार के कारपोरेट मंत्रालय के वेबसाइट पर उपलब्ध सूचनाओं के अनुसार ‘आरिएंट क्राफ्ट फैशन पार्क वन एलएलपी कंपनी’ 3 फरवरी 2017 को पंजीकृत हुई। उसके पास कुल जमा पूंजी एक लाख रुपए है। इस कंपनी ने सरकार के साथ 1500 करोड़ रुपए की लागत वाला इंडस्ट्रीयल पार्क बनाने के संबंध में समझौता किया। राज्य सरकार कंपनी को खेलगांव में 28 एकड़ जमीन और दूसरे के लिए इरबा में 113 एकड़ जमीन सरकार देगी।

जिस तरह से इस मोमेंटम झारखंड से राज्य को बड़ा लाभ होने का दावा किया जाता रहा है, उसका मकसद पीछे छूट गया और फंड की बंदरबाट से लेकर प्राकृतिक संसाधनों और जनता की संपत्ति की लूट की साजिशें अब सामने आ रही हैं। सरकार ने जितने एमओयू किए लगभग सभी कंपनियां फर्जी निकलीं, इसकी कलई खुलने की बारी है।
कहना ना होगा कि इसी तरह के फर्जीवाड़े से ध्यान भटकाने के लिए रघुबर सरकार कभी नक्सल, कभी पत्थलगड़ी, कभी भूमि अधिग्रहण बिल तो कभी राष्ट्रदोह जैसे मामलों में राज्य की जनता को उलझाती रही है।
(कॉपी संपादन : एफपी डेस्क)
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