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बागवानी से बदल रही परहिया आदिम आदिवासियों की जिंदगी

झारखंड में आठ आदिम जनजातियों के लोग रहते हैं जिनकी आबादी दिनोंदिन घटती जा रही है। विकास के पैमाने पर अत्यंत पिछड़ी इन जनजातियों में एक समुदाय परहिया भी है। लेकिन बागवानी ने इनके जीवन को नया आयाम दिया है। फारवर्ड प्रेस की खबर :

झारखंड की राजधानी रांची से लगभग 190 किलोमीटर दूर है लातेहार जिला। इस जिले के मनिका प्रखंड में एक गांव है लंका और इसी लंका गांव के एक टोला उचुवाबाल में रहते हैं परहिया समुदाय के करीब 80 परिवार। परहिया झारखंड में आठ अादिम जनजातियों में से एक समुदाय है जो अब विलुप्ति के कगार पर है। यह समुदाय पलामू प्रमंडल के लातेहार, गढ़वा और पलामू जिला में रहता है। सामाजिक कार्यकर्ता अश्विनी कुमार पंकज के अनुसार परहिया समुदाय की आबादी अब दस हजार से कम हो गयी है।

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लेखक के बारे में

विशद कुमार

विशद कुमार साहित्यिक विधाओं सहित चित्रकला और फोटोग्राफी में हस्तक्षेप एवं आवाज, प्रभात खबर, बिहार आब्जर्बर, दैनिक जागरण, हिंदुस्तान, सीनियर इंडिया, इतवार समेत अनेक पत्र-पत्रिकाओं के लिए रिपोर्टिंग की तथा अमर उजाला, दैनिक भास्कर, नवभारत टाईम्स आदि के लिए लेख लिखे। इन दिनों स्वतंत्र पत्रकारिता के माध्यम से सामाजिक-राजनैतिक परिवर्तन के लिए काम कर रहे हैं

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