दुर्गा के विरूद्ध सोशल मीडिया पर कथित टिप्पणी के बाद सामाजिक—धार्मिक वैमनस्यता फैलाने के नाम पर साजिशन शासन—प्रशासन की शह पर गिरफ्तार किए गए ‘जनहित अभियान’ के संयोजक पेरियार संतोष यादव को 1 नवंबर 2018 को पिछड़ों—दलितों के विरोध और आंदोलन के बन रहे माहौल के दौरान रिहा कर दिया गया। बक्सर जिले में बीते 28 अक्टूबर को पुलिस ने पेरियार संतोष यादव को तब गिरफ्तार किया था जब शहर के ज्योति चौक पर बड़ी संख्या में बहुजन महिषासुर शहादत दिवस समारोह मनाने जुटे थे।
31 अक्टूबर 2018 को ही बक्सर की निचली अदालत ने पेरियार संतोष यादव को रिहा करने का आदेश जारी कर दिया था, मगर उन्हें एक दिन बाद 1 नवंबर को छोड़ा गया। उनके खिलाफ मामला दर्ज करने वाले दीपक यादव द्वारा शिकायत वापस लिए जाने के बाद उनकी रिहाई संभव हो पाई। दीपक ने यह कहते हुए अपनी शिकायत वापस ली है कि सवर्ण समाज के कुछ लोगों ने इस मामले में राजनीति करनी शुरू कर दी थी।
ब्राह्मणवादियों ने रची थी साजिश
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के बक्सर व भोजपुर जिले के संयोजक दीपक यादव ने फारवर्ड प्रेस से हुई बातचीत में कहा कि, “पेरियार संतोष यादव द्वारा फेसबुक पर दुर्गा के खिलाफ अशोभनीय टिप्पणी किये जाने से मैं आहत हुआ था इसीलिए मामला भी दर्ज कराया, मगर मेरे द्वारा पेरियार संतोष यादव पर एफआईआर दर्ज किये जाने को ब्राह्मण समाज के लोगों ने दूसरे रूप में लिया और उन्होंने जाति विशेष के खिलाफ राजनीति करने लगे। जबकि सच यह है कि मैंने पेरियार संतोष यादव व उनके साथियों के सामाजिक आंदोलन जिसे वे महिषासुर शहादत दिवस के रूप में मना रहे थे, का विरोध नहीं किया। इस देश में सभी को आंदोलन का अधिकार है।”

गौरतलब है कि पिछले महीने 28 अक्टूबर को जनहित अभियान के संयोजक और सामाजिक कार्यकर्ता पेरियार संतोष यादव को इसी एफआईआर के आधार पर उस समय द्विजों ने पुलिस की मौजूदगी में अपना निशाना बनाया जब सैकड़ों लोग महिषासुर शहादत दिवस मनाने पहुंचे थे। उस दौरान न सिर्फ पेरियार संतोष यादव पर सत्ता की शह पर हमला किया गया, बल्कि उन्हें 153ए, 295ए और 66ए (आईटी एक्ट) के तहत गिरफ्तार भी कर लिया गया था।
पेरियार संतोष यादव पर हुए हमले के बाद उनकी गिरफ्तारी का मकसद कहीं न कहीं पिछड़ों में यह खौफ पैदा करना भी है कि अगर सदियों से चले आ रहे हमारे आयोजनों जैसे विजयादशी में रावण दहन हो या फिर दुर्गा पूजा में दुर्गा के साथ असुर सम्राट महिषासुर का वध दर्शाना, उनकी खिलाफत या परंपरानुसार चली आ रही कुप्रथाओं के विरूद्ध या अपनी सांस्कृतिक चेतना की जागृति के साथ अपने आदर्शों—पुरखों के अपमान के खिलाफ एकजुट होओगे तो सबका हश्र पेरियार संतोष यादव की तरह होगा। संतोष यादव की गिरफ्तारी के तार कहीं न कहीं उस ज्ञापन से भी जुड़े हैं, जिसे उनके संगठन ‘जनहित अभियान’, ‘दलित अधिकार मंच’, ‘भारत मुक्ति मोर्चा’ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत डीएम बक्सर, एसडीओ बक्सर और एसपी बक्सर को 10 अक्टूबर 2018 को संयुक्त रूप से सौंपा था और शासन—प्रशासन से मांग की थी कि “इस बार की दुर्गा पूजा, विजयादशमी में हमारे नायकों को सामाजिक रूप से अपमानित न किया जाए, उनकी हत्या और दहन को पूर्णत: बंद किया जाय और इसके लिए शासन–प्रशासन की तरफ से पहलकदमी की जाए। सार्वजनिक रूप से मनुवादियों द्वारा महिषासुर वध, रावण दहन या ताड़का वध जिस तरह से दिखाया जाता है, वह बहुजनों के लिए असहनीय है, कृपया इस दिशा में ठोस कदम उठाए जाएं, और हमारे आदर्शों का सार्वजनिक अपमान बंद हो।”
बहुजन विमर्श को विस्तार देतीं फारवर्ड प्रेस की पुस्तकें
28 अक्टूबर 2018 को बिहार के बक्सर शहर में पेरियार संतोष यादव की गिरफ्तारी के वक्त बड़ी संख्या में पिछड़े—दलित तबकों से ताल्लुक रखने वाले लोग महिषासुर शहादत दिवस मनाने पहुंचे थे। पेरियार संतोष यादव समेत तमाम पिछड़े संगठन सार्वजनिक तौर पर कह भी रहे थे कि हमारे ज्ञापन देने के बावजूद अगर दुर्गा पूजा में महिषासुर वध और रावण दहन और ताड़का वध जैसे आयोजन होते हैं तो हम आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। रावण दहन और महिषासुर वध को दर्शाया जाना संवैधानिक तौर पर पूरी तरह गलत है। सवर्णों को अपने देवी–देवताओं का पूजन करना है तो करें, मगर हमारे महापुरुषों को अपमानित करने की जो परंपरा इन्होंने सदियों से डाली हुई है उसे तत्काल बंद करें।”
महिषासुर शहादत दिवस समारोह के दौरान द्विजों ने बोला था हमला
बताते चलें कि 28 अक्टूबर को दिन में 11 बजे जैसे ही बहुजन समाज के सैकड़ों लोग बक्सर शहर के ज्योति चौक पर महिषासुर शहादत दिवस समारोह की अंतिम तैयारी में जुटे हुए थे। इसी के मद्देनजर बक्सर सदर थाना के प्रभारी दयानंद सिंह अपने दल-बल के साथ पहुंचे थे। दयानंद सिंह ने ही पेरियार संतोष यादव को गिरफ्तार किया, साथ ही आयोजन भी स्थगित करवा दिया। आयोजन रद्द किए जाने और पेरियार संतोष यादव की गिरफ्तारी को लेकर आयोजकों और पुलिस के बीच तीखी बहस भी हुई थी। इसी बहसबाजी के दौरान मौके पर मौजूद द्विजों ने पेरियार संतोष यादव पर हमला भी बोल दिया।
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बक्सर में पहली बार बड़े स्तर पर आयोजित हो रहे महिषासुर शहादत दिवस आयोजन रद्द होने और हमले की घटना के बाद पेरियार संतोष यादव ने थाने में तीन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। इनमें सौरव तिवारी, गिट्टू तिवारी और राहुल शामिल थे। इन तीनों को बक्सर के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने उसी दिन जमानत दे दी, जबकि पेरियार संतोष यादव को जेल भेज दिया गया।
अगवानी को उमड़े बहुजन, बक्सर में लगे ‘जय महिषासुर’ के नारे
दीपक यादव ने बीते 31 महीने अक्टूबर को ही संतोष यादव के खिलाफ दर्ज कराया गया मामला अदालत में वापस ले लिया था और अदालत ने भी उन्हें रिहा करने का आदेश जारी कर दिया। परंतु जेल प्रशासन ने उन्हें एक दिन बाद यानी 1 नवंबर 2018 की सुबह 9 बजे छोड़ा।
पेरियार संतोष यादव के जेल से छूटने के मौके बड़ी संख्या में बहुजनों ने उनकी अगवानी की। यह सब स्वत्: स्फूर्त तरीके से हुआ और देखते ही देखते इसने एक रैली का स्वरूप धारण कर लिया। बहुजनों द्वारा इस मौके पर जय महिषासुर के नारे लगाये गये। बड़ी संख्या में युवा बक्सर के केंद्रीय जेल के मुख्यद्वार से पेरियार संतोष यादव के पैतृक गांव महदह तक पहुंचे। इस जुलूस में पेरियार संतोष यादव व उनके साथियों ने शहर में बाबा साहब डॉ. आंबेडकर और बक्सर के सामाजिक नेता रहे ज्योति प्रकाश कुशवाहा की प्रतिमा पर माल्यार्पण भी किया।

उल्लेखनीय है कि ज्योति प्रकाश कुशवाहा बक्सर के चर्चित सामाजिक नेता थे। उनकी हत्या 17 मार्च 1983 को सवर्णों ने कर दी थी। उनकी स्मृति में प्रतिमा का अनावरण 17 मार्च मार्च 1991 को पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद के द्वारा की गयी थी।
फिर सामने आया पुलिस का द्विजवादी चेहरा
पेरियार संतोष यादव के साथी सोनू यादव ‘महिष’ ने कहा, “पुलिस प्रशासन ने एक बार फिर पक्षपातपूर्ण व्यवहार किया। पहले हम लोगों को बताया गया कि पेरियार संतोष यादव को 31 अक्टूबर की शाम को रिहा किया जाएगा। हम लोग बड़ी संख्या में जेल के मुख्यद्वार पर एकजुट हुए थे। लेकिन प्रशासन को यह नागवार गुजरा और उसने पेरियार संतोष यादव को रिहा नहीं किया और हमें कहा गया कि अगले दिन 12 बजे उनकी रिहाई होगी। लेकिन एक बार फिर प्रशासन ने चालाकी दिखायी और उन्हें 10 बजे ही छोड़ दिया गया। पुलिस नहीं चाहती थी कि बहुजन समाज के लोग पेरियार संतोष यादव की रिहाई के मौके पर जुटें। जबकि इसी बक्सर की पुलिस ने बीते 28 अक्टूबर को द्विजवादियों को विजय जुलूस निकालने दिया था जब सौरव तिवारी, गिट्टु तिवारी और राहुल को कोर्ट ने जमानत दी थी।”
और तेज होगा बहुजनों का सांस्कृतिक आंदोलन
फारवर्ड प्रेस से बातचीत में पेरियार संतोष यादव ने कहा, “यह तो साफ हो या है कि ब्राह्मणवादियों ने साजिश करके मुझे जेल भिजवाया। इसके लिए उनलोगों ने बहुजन समाज से ही आने वाले दीपक यादव को मोहरा बनाया। लेकिन मुझे खुशी है कि दीपक यादव ने ब्राह्मणवादियों की साजिश को नाकाम कर दिया। उन्हें यह बात समझ में आ गई कि आखिर एक यादव को ही यादव के खिलाफ ब्राह्मण किस साजिश के तहत खड़ा कर रहे हैं। रही बात बहुजनों के सांस्कृतिक आंदोलन की तो अब यह और तेज होगा। ब्राह्मणवादियों की हर साजिश को हम नाकाम करेंगे।”

पेरियार संतोष यादव कहते हैं, ”मेरी रिहाई के वक्त एक आवाज पर सैकड़ों बहुजनों का जेल द्वार पर पहुंचना इस तरफ भी इशारा करता है कि हमारे लोग अपने हित—अहित की बात समझने लगे हैं। यह भी कि बक्सर जिले में सवर्णों के पाखंड व धर्म की आड़ में वर्चस्व कायम रखने के मंसूबों को तोड़ने के लिए बहुजन एकजुट हो रहे हैं। आने वाले समय में यह आंदोलन और जोर पकड़ेगा।” उन्होंने अपनी रिहाई के लिए व आंदोलन में साथ देने के लिए अपने साथियों के प्रति आभार व्यक्त किया।
(कॉपी संपादन प्रेमा नेगी)
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