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उठा सवाल तो बैकफुट पर गई योगी सरकार, टाला नियोजन-पत्र वितरण कार्यक्रम

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने बीते 25 नवंबर को मान्यता प्राप्त अशासकीय कॉलेजों में मानदेय पर कार्यरत 700 से अधिक सहायक प्रोफेसरों को नियमित करने और नियुक्ति पत्र देने के कार्यक्रम को टाल दिया है। इससे पहले सरकार के इस निर्णय पर विरोध जताया जा रहा था कि सरकार आरक्षण को दरकिनार कर ऐसा करने जा रही है। फारवर्ड प्रेस की खबर :

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने मान्यता प्राप्त अशासकीय कॉलेजों में मानदेय पर कार्यरत 700 से अधिक सहायक प्रोफेसरों को नियमित करने और नियुक्ति-पत्र देने काे प्रशासन ने फिलहाल यह कहते हुए टाल दिया है कि अभ्यर्थियों द्वारा प्रस्तुत किए गए कागजात की जांच पूरी होने के बाद नियुक्ति-पत्र बांटे जाएंगे। बता दें कि फारवर्ड प्रेस ने ‘आरक्षण को दरकिनार कर नौकरियां बांटेंगे योगी आदित्यनाथ’ शीर्षक से आलेख प्रकाशित किया था। सरकार के इस फैसले का विरोध भी स्थानीय स्तर पर किया गया था।

सूचियां पहले से तैयार, अब बता रहे कमियां

हालांकि, इस संबंध में फारवर्ड प्रेस ने जब राज्य की उच्च शिक्षा निदेशक प्रीति गौतम से संपर्क किया, तो उन्होंने बताया कि आॅनलाइन प्रक्रिया के तहत सारा काम हो रहा है और हमारे कर्मचारी इस प्रक्रिया के लिए उतने ट्रेंड नहीं हैं, इस वजह से थोड़ा ज्यादा समय लग रहा है, लेकिन बहुत जल्द हम लोग आॅनलाइन लिस्ट जारी करने वाले हैं।

प्रयागराज (इलाहाबाद) में निराश शिक्षक अभ्यर्थी

गौरतलब है कि उच्च शिक्षा निदेशालय की अधिकृत वेबसाइट पर जिलावार सूची पहले ही प्रकाशित है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब सूची पहले से बनी है, ताे फिर सरकार ने नियुक्ति-पत्र बांटने का फैसला क्यों टाला?

फारवर्ड प्रेस द्वारा पूर्व में प्रकाशित खबर में अनेक बुद्धिजीवियों ने आरक्षण का अनुपालन नहीं किए जाने पर सवाल उठाए थे। सरकार द्वारा नियुक्ति-पत्र बांटे जाने के कार्यक्रम को टालने के पीछे कहीं यह कारण तो नहीं है, यह पूछने पर प्रीति गौतम ने कहा कि नियुक्तियां कोर्ट के आदेश के तहत हो रही हैं और उसी के तहत वे लोग काम कर रहे हैं। आगे कोई निर्देश आता है, तो उसका ध्यान रखा जाएगा।

यह भी पढ़ें : आरक्षण को दरकिनार कर नौकरियां बांटेंगे योगी आदित्यनाथ

पहले कहा था- आपत्ति हो तो कोर्ट जाएं

हालांकि, इससे पहले प्रीति गौतम ने आरक्षण से पल्ला झाड़ते हुए कहा था कि अगर किसी को कोई आपत्ति है, तो कोर्ट जाए। वहीं, नियुक्तियों में अधिकांश सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थी होने के सवाल पर उन्होंने कहा था कि ये लोग वर्षाें से सेवा दे रहे हैं और तब की परिस्थिति के हिसाब से सब कुछ तय किया जा रहा है। सामान्य कोटे व आरक्षित कोटे के कितने-कितने अभ्यर्थी हैं, इस सवाल को वे टाल गई थीं और कहा था कि शिक्षा निदेशालय ने इस तरह की कोई सूची तैयार नहीं की है, इसलिए इसका जवाब देना संभव नहीं है। वहीं अपुष्ट सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, 87 फीसदी सीटों पर सामान्य कोटे के अभ्यर्थियों के नाम हैं।

पहले भी उठते रहे हैं सवाल

बताते चलें कि ये नियुक्तियां मान्यता प्राप्त महाविद्यालयों के आंदोलनरत कर्मचारियों के नियमितीकरण के विरोध में किए गए संशोधन को चुनौती देने वाली याचिका हाईकोर्ट से खारिज होने के बाद हो रही है। 25 से अधिक याचिकाकर्ताओं ने इस संशोधन को यह कहते हुए चुनौती दी थी कि जिन पदों के सापेक्ष नियमितीकरण किया जा रहा है, उसमें से 2008 में 44 पद और 2009 में 45 पद पहले से विज्ञापित हैं और याचिकाकर्ताओं ने उन पदों के लिए आवेदन किया हुआ है।

योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश

प्रतियोगी परीक्षा से चयनित अभ्यर्थी इस बात को लेकर गुस्से में हैं कि शिक्षा निदेशालय शिक्षकों के एक जैसे ही पद पर नियमित नियुक्ति के लिए दो नियम अपना रहा है। विज्ञापन संख्या-37 और 46 के चयनित अभ्यर्थी एक बड़ा सवाल उठा रहे हैं कि जब उनकी कउंसलिंग ऑनलाइन माध्यम से रुकी हुई है, तो मानदेय पर कार्यरत शिक्षकों का नियमितीकरण काउंसलिंग की किस प्रक्रिया के तहत किया जा रहा है?

इसके अलावा यह भी सवाल किए जा रहे हैं कि मान्यता प्राप्त महाविद्यालयों की तरफ से निकाले गए विज्ञापन के बाद मैनेजमेंट कोटे से नियुक्ति हुई, जबकि इस नियुक्ति से पहले संबंधित महाविद्यालयों की तरफ से प्रथम, द्वितीय, तृतीय प्राथमिकता वाले अभ्यर्थियों के विवरण के अनुमोदन के लिए उच्च शिक्षा निदेशालय को भेजना अनिवार्य था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। बता दें कि मान्यता प्राप्त महाविद्यालयों में सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति मैनेजमेंट कोटे से 2005 के आसपास हुई है और इन शिक्षकों के नियमितीकरण की प्रक्रिया में योगी सरकार की भी स्वीकृति है। क्योंकि, प्रदेश सरकार ने ही यूपी हायर एजुकेशन सर्विस कंडीशन एक्ट की धारा 31(ई) में संशोधन कर नियमितीकरण के लिए आदेश जारी किया है। इसके तहत 29 मार्च 2011 तक नियुक्ति पा चुके ऐसे मानदेय शिक्षकाें की सेवा नियमित की जाएगी, जो पद की अर्हता पूरी करते हैं और 10 सितंबर तक या उसके आगे भी लगातार पढ़ा रहे हैं।

(कॉपी संपादन : प्रेम/एफपी डेस्क)

1 http://uphed.gov.in/directorate/en/news


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लेखक के बारे में

कुमार समीर

कुमार समीर वरिष्ठ पत्रकार हैं। उन्होंने राष्ट्रीय सहारा समेत विभिन्न समाचार पत्रों में काम किया है तथा हिंदी दैनिक 'नेशनल दुनिया' के दिल्ली संस्करण के स्थानीय संपादक रहे हैं

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