केंद्र सरकार के प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर ने ट्वीट कर भरोसा रखने को कहा
फेलोशिप की राशि में मामूली बढ़ोत्तरी की खबर सामने आने के बाद से नाराज रिसर्च स्कॉलरों ने सोशल मीडिया के जरिए सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया। इसका असर दिखा और भारत सरकार के प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर के. विजय राघवन को आगे आकर भरोसा देना पड़ा है कि आधिकारिक आदेश जारी होने का इंतजार करें। माना जा रहा है कि सरकार इस दिशा में रिसर्च स्कॉलर के प्रति सहानुभूति रखते हुए कुछ सकारात्मक कदम उठा सकती है। हालांकि यह देखने वाली बात होगी कि आधिकारिक आदेश में कितनी फीसदी की बढ़ोतरी की जाती है, क्योंकि रिसर्च स्कॉलर्स 80-100 फीसदी फेलोशिप की राशि बढ़ाए जाने की मांग कर रहे हैं।
बताते चलें कि फेलोशिप की राशि बढ़ाए जाने को लेकर आंदोलन कर रहे रिसर्च स्कॉलरों ने केंद्र सरकार को अल्टीमेटम दिया हुआ है कि अगर उनकी मांगों पर घ्यान नहीं दिया गया और 10 दिसम्बर तक मांगों के हिसाब से फेलौशिप की राशि नहीं बढ़ाई गई तो मानव संसाधन विकास मंत्रालय पर देश भर के रिसर्च स्कॉलर काम छोड़कर जुटेंगे और प्रदर्शन करेंगे। इनलोगों ने 80-100 फीसदी तक फेलोशिप की राशि बढ़ाए जाने की मांग की हुई है। मिसाल के तौर पर जूनियर रिसर्च फेलोशिप (जेआरएफ) स्कॉलर को अभी 25,000 रुपए बतौर फेलोशिप मिलते हैं लेकिन अब इसे बढ़ाकर 50,285 रुपए किए जाने की मांग कर रहे हैं। इसी तरह सीनियर रिसर्च फेलोशिप स्कॉलर को अभी 28,000 रुपए प्रति महीने बतौर फेलोशिप मिलता है जिसे बढ़ाकर 56,320 रुपए किए जाने की इनकी मांग है।

नाराज स्कॉलरों ने विरोध जताया है कि बीते चार वर्षों से नेट, गेट उत्तीर्ण करने वाले रिसर्च स्कॉलरों की फेलोशिप की राशि नहीं बढ़ी है जबकि हर चार साल में फेलोशिप राशि बढ़ायी जाती रही है। इस बार चार साल पूरा हुए छह महीने से अधिक हो चुका है।
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हालांकि यह पहला मौका मौका नहीं है जब देश भर के लाखों जूनियर रिसर्च फेलो व सीनियर रिसर्च फेलो फेलोशिप बढ़ाने के लिए इस तरह अपनी आवाज बुलंद कर रहे हों। इससे पहले फेलोशिप राशि व भत्ता बढ़ाने के लिए 2014 में भी इसी तरह हजारों रिसर्च फेलो को आंदोलन करना पड़ा था। इस साल 2018 में भी 2014 की तरह फेलोशिप की राशि नहीं बढ़ाए जाने पर पिछले दिनों ऑल इंडिया रिसर्च स्कॉलर के बैनर तले नई दिल्ली स्थित एम्स में देश के तमाम संस्थानों के रिसर्च स्कॉलर्स के प्रतिनिधियों ने बैठक की थी और कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए मानव संसाधन विकास मंत्रालय सहित केंद्र सरकार के प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर डाॅ. के. विजय राघवन को मांगों का मेमोरेंडम सौंपा था।
(कॉपी संपादन : एफपी डेस्क)
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