‘रोस्टर’ शब्द सामान्य जनसामान्य के लिए अनजाना नहीं है। रोस्टर का अर्थ क्रम होता है। सामान्य भाषा में ‘बारी’ या ‘पारी’जैसे शब्द भी प्रयोग में लाये जाते हैं। ‘शिफ्ट’ में काम करने वाले कर्मचारी भी इस शब्द से परिचित हैं। जैसे शाम के शिफ्ट में किस कर्मचारी की बारी है या रमेश के बाद सुरेश की बारी है। स्कूल में बच्चों में किसी चीज के वितरण के समय घोषणा की जाती है कि सभी बच्चे बारी-बारी से या अपनी बारी आने पर मंच के पास आएंगे और अपना प्रवेश पत्र लेंगे। कोई क्रम नहीं तोड़ेगा।
इसी प्रकार सरकारी सेवाओं में रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया में एक क्रम निर्धारित किया जाता है। इसी क्रम निर्धारण की प्रक्रिया को रोस्टर बनाना कहते हैं। जैसे यदि किसी विभाग में भर्ती के समय एक पद रिक्त है तो यह रिक्त पद अनारक्षित रहेगा, अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित रहेगा या अनुसूचित जाति/जनजाति के लिए आरक्षित रहेगा, यह निर्णय रोस्टर के आधार पर तय होगा। इसीलिए रोस्टर महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि आरक्षण नीति की व्यवहारिक परिणति, रोस्टर में आरक्षित संवर्ग के लिए स्थान निर्धारण में होती है।
उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश, सरकार के अंतर्गत आने वाली नौकरियों में अनुसूचित जनजाति के लिए 2 प्रतिशत आरक्षण अनुमन्य है। यदि किसी पद विशेष के लिए किसी समय विशेष पर यदि 100 रिक्त पदों को भरने के लिए भर्ती प्रक्रिया प्रारम्भ होती है तो अनुसूचित जनजाति के लिए कितने पद आरक्षित होंगे। सामान्य गणित का सिद्धांत लगाएं तो 2 प्रतिशत के हिसाब से दो पद अनुसूचित जनजाति के लिए बनता है। अर्थात रिक्त पदों (वैकेन्सी) पर आरक्षण प्रतिशत निकाला जाता था और जिस संवर्ग की जितनी संख्या बनती थी उतने पद उस संवर्ग के लिए आरक्षित घोषित कर दिये जाते थे। किसी विभाग में प्रतिशत गणना में कोई विवाद न हो इसलिए शासन स्तर पर एक माडल रोस्टर बना दिया जाता था जो सामान्य तौर पर 40 प्वाइंट, 100 प्वाइंट या 120 प्वाइंट का होता था। इसे वैकेन्सी बेस्ड रोस्टर कहते थे। उत्तर प्रदेश सरकार का 100 प्वाइंट रोस्टर यहां देखें।
वैकेन्सी बेस्ड रोस्टर आरक्षण हेतु रोस्टर
उत्तर प्रदेश सरकार
उत्तर प्रदेश लोक सेवा (अनुसूचित जातियां, अनुसूचित जनजातिया और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए आरक्षण) अधिनियम 1994 (उत्तर प्रदेश अधिनियम संख्या 4, सन् 1994) की धारा 3 की उपधारा (5) के अपील का प्रयोग करके, राज्यपाल उक्त धारा की उपधारा (1) के अधीन शक्ति आरक्षण को लागू करने के लिए निम्नलिखित रोस्टर जारी करते हैं –
1- अनुसूचित जाति | 2- अनारक्षित | 3- अन्य पिछड़ा वर्ग | 4- अनारक्षित |
---|---|---|---|
5- अनुसूचित जाति | 6-अनारक्षित | 7- अन्य पिछड़ा वर्ग | 8- अनारक्षित |
9-अन्य पिछड़ा वर्ग | 10- अनारक्षित | 11-अनुसूचित जाति | 12- आरक्षित |
13- अन्य पिछड़ा वर्ग | 14- अनारक्षित | 15- अनुसूचित जाति | 16- अनारक्षित |
17- अन्य पिछड़ा वर्ग | 18- अनारक्षित | 19- अन्य पिछड़ा वर्ग | 20-अनारक्षित |
21- अनुसूचित जाति | 22-अनारक्षित | 23-अन्य पिछड़ा वर्ग | 24- अनारक्षित |
25- अनुसूचित जाति | 26-अनारक्षित | 27- अन्य पिछड़ा वर्ग | 28- अनारक्षित |
29- अन्य पिछड़ा वर्ग | 30- अनारक्षित | 31- अनुसूचित जाति | 32- अनारक्षित |
33- अन्य पिछड़ा वर्ग | 34- अनारक्षित | 35- अनुसूचित जाति | 36- अनारक्षित |
37- अनुसूचित जाति | 38- अनारक्षित | 39- अनुसूचित जाति | 40- अनारक्षित |
41- अनारक्षित | 42- अनारक्षित | 43- अन्य पिछड़ा वर्ग | 44- अनारक्षित |
45- अनुसूचित जाति | 46- अनारक्षित | 47- अनुसूचित जनजाति | 48- अनारक्षित |
49- अनुसूचित जाति | 50- अनारक्षित | 51- अन्य पिछड़ा वर्ग | 52- अनारक्षित |
53- अन्य पिछड़ा वर्ग | 54- अनारक्षित | 55- अन्य पिछड़ा वर्ग | 56- अनारक्षित |
57- अन्य पिछड़ा वर्ग | 58- अनारक्षित | 59-अनुसूचित जाति | 60-अनारक्षित |
61-अन्य पिछड़ा वर्ग | 62-अनारक्षित | 63-अनुसूचित जाति | 64-अनारक्षित |
65-अन्य पिछड़ा वर्ग | 66-अनारक्षित | 67-अन्य पिछड़ा वर्ग | 68-अनारक्षित |
69-अनुसूचित जाति | 70-अनारक्षित | 71-अन्य पिछड़ा वर्ग | 72-अनारक्षित |
73-अनुसूचित जाति | 74-अनारक्षित | 75-अन्य पिछड़ा वर्ग | 76-अनारक्षित |
77-अन्य पिछड़ा वर्ग | 78-अनारक्षित | 79-अनुसूचित जाति | 80-अनारक्षित |
81-अन्य पिछड़ा वर्ग | 82-अनारक्षित | 83-अनुसूचित जाति | 84-अनारक्षित |
85-अन्य पिछड़ा वर्ग | 86-अनारक्षित | 87-अन्य पिछड़ा वर्ग | 88-अनारक्षित |
89-अनुसूचित जाति | 90-अनारक्षित | 91-अन्य पिछड़ा वर्ग | 92-अनारक्षित |
93-अनुसूचित जाति | 94-अनारक्षित | 95-अन्य पिछड़ा वर्ग | 96-अनारक्षित |
97-अनुसूचित ज.जाति | 98-अनारक्षित | 99-अनुसूचित जाति | 100-अनारक्षित |
आज्ञा से,
आर.डी.भास्कर, सचिव
यह रोस्टर अनुसूचित जाति के लिए 21 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति के लिए 2 प्रतिशत तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 27 प्रतिशत अनुमन्य आरक्षण पर आधारित है। रोस्टर एक प्रकार का गणना चार्ट है। इस आधार पर बिना प्रतिशत की गणना किये ही कोई भी व्यक्ति आरक्षित पदों की संख्या रोस्टर प्वाइंट गिन कर बता सकता है। जैसे रोस्टर प्वाइंट पर 47वां और 97वां अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं अर्थात् 100 पदों में 2 पद अनुसूचित जनजाति के लिए रिक्त है। इसी तरह से अन्य संवर्गों की भी गणना की जा सकती है। इसी प्रकार रोस्टर प्वाइंट का निर्धारण प्रतिशत के अनुसार केन्द्र सरकार तथा अन्य राज्य सरकारें भी करती हैं। स्पष्टता के लिए केन्द्र सरकार का 40 प्वाइंट रोस्टर नीचे देखें।
1 जुलाई 1997 तक लागू रोस्टर का माडल
सूची प्रतियोगिता के अतिरिक्त अखिल भारतीय आधार पर सीधी भर्ती द्वारा भरे गये पदों के लिए माडल रोस्टर
रोस्टर में प्वाइंट | क्या अनारक्षित है या आरक्षित | रोस्टर में प्वाइंट | क्या अनारक्षित है या आरक्षित |
---|---|---|---|
1 | अनुसूचित जाति | 21 | अनारक्षित |
2 | अनारक्षित | 22 | अनारक्षित |
3 | अनारक्षित | 23 | अनारक्षित |
4 | अनुसूचित जाति | 24 | अनारक्षित |
5 | अनारक्षित | 25 | अनुसूचित जाति |
6 | अनारक्षित | 26 | अनारक्षित |
7 | अनुसूचित जाति | 27 | अनारक्षित |
8 | अनारक्षित | 28 | अनारक्षित |
9 | अनारक्षित | 29 | अनुसूचित जनजाति |
10 | अनारक्षित | 30 | अनारक्षित |
11 | अनारक्षित | 31 | अनारक्षित |
12 | अनारक्षित | 32 | अनुसूचित जाति |
13 | अनुसूचित जाति | 33 | अनारक्षित |
14 | अनारक्षित | 34 | अनारक्षित |
15 | अनारक्षित | 35 | अनारक्षित |
16 | अनारक्षित | 36 | अनारक्षित |
17 | अनुसूचित जाति | 37 | अनुसूचित जाति |
18 | अनारक्षित | 38 | अनारक्षित |
19 | अनारक्षित | 39 | अनारक्षित |
20 | अनुसूचित जाति | 40 | अनारक्षित |
टिप्पणी :
- उपर्युक्त रोस्टर के प्रत्येक तीसरे चक्र में 37वें प्वाइंट को अनारक्षित माना जाएगा।
- यदि किसी विशेष वर्ष में केवल दो ही रिक्तियां भरी जानी हों, तो एक से अधिक रिक्ति को आरक्षित माना जाए और केवल एक ही रिक्ति हो तो उसे अनारक्षित समझा जाना चाहिए। यदि इस कारण किसी आरक्षित प्वाइंट को अनारक्षित माना गया है तो आरक्षण को बाद के तीन भर्ती वर्षों में अग्रेनीत किया जायेगा। आरक्षण प्वाइंट पर आने वाली एकल रिक्ति दिनांक 29.04.75 के का.ज्ञा. संख्या 1/9/74-स्था.(एस.सी.टी.) द्वारा शासित होगी।
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2 जुलाई 1997 के पूर्व लागू रोस्टर जिसे वैकेन्सी बेस्ड रोस्टर कहते थे, वह कुछ मूल सिद्धांतों पर आधारित था। पहला मूल सिद्धांत था आरक्षित संवर्ग को वरीयता देना। इसीलिए उत्तर प्रदेश सरकार का 100 प्वाइंट रोस्टर हो या केन्द्र सरकार का 40 प्वाइंट रोस्टर, दोनों में पहला रिक्त पद आरक्षित संवर्ग अर्थात् अनुसूचित जाति से भरना है। दूसरा मूल सिद्धांत था कि यदि किसी कैडर में एक ही पद रिक्त् होता था, तो वह भी आरक्षित संवर्ग के लिए आरक्षित हो जाता था। इसके पीछे सिद्धांत यह था कि जो भी पद रिक्त हो रहा है उसे आरक्षित संवर्ग से भरा जाये क्योंकि उनका आरक्षण प्रतिशत पूरा नहीं था। यह प्रक्रिया तथा वैकेन्सी बेस्ड रोस्टर 1 जुलाई 1997 तक लागू थी। इसे वैकेन्सी बेस्ड इसलिए कहते हैं कि इसमें भर्ती के समय एक कैडर में कुल रिक्त पदों के आधार पर आरक्षण की गणना की जाती थी।
पद आधारित रोस्टर
वैकेन्सी बेस्ड रोस्टर प्रणाली न्यायालय को चुनौती दी गयी। इसे सभ्भरबाल बनाम भारत सरकार के नाम से जाना जाता है। 10 फरवरी 1995 को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अपना निर्णय दिया। इस केस में पूरी आरक्षण नीति एवं रोस्टर प्रणाली की समीक्षा की गयी। वैकेन्सी बेस्ड रोस्टर प्रणाली की कमियों को उजागर करते हुए याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि वैकेन्सी बेस्ड रोस्टर प्रणाली के कारण आरक्षित संवर्ग के कर्मचारियों की संख्या संबंधित संवर्ग को अनुमन्य आरक्षण प्रतिशत से अधिक हो जा रही है जो संविधान के उद्देश्यों के विरुद्ध है तथा सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 प्रतिशत का भी अतिक्रमण हो रहा है। जैसा कि केस में उद्धृत किया गया है कि 1982 में पंजाब सरकार के अधीन एक कैडर में कुल स्वीकृत पद 202 थे। यहां पर 22 प्रतिशत कुल आरक्षण अनुसूचित जाति/जनजाति एवं अन्य पिछड़े वर्ग के लिए अनुमन्य था। उस कैडर में अकेले अनुसूचित जाति के 47 कर्मचारी कार्यरत थे जबकि कुल 42 पदों तक ही आरक्षण अनुमन्य था। इन विसंगतियों को सुप्रीम कोर्ट ने अवैधानिक माना तथा इनको दूर करने के लिए आवश्यक निर्देश दिए। इन निर्देशों के आधार पर जो रोस्टर तैयार किया गया उसे कुल स्वीकृत पद आधारित रोस्टर कहते हैं।
आर. के सभरवाल केस के आधार पर केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय ने पोस्ट बेस्ड रोस्टर के लिए दिशा निर्देश जारी किया। डी.ओ.पी.टी. के ओ.एम.संख्या 36012/2/96 दिनांक 02 जुलाई 1997 के संलग्नक-1 के बिंदू-02 पर इन दिशा निर्देशों का उल्लेख करते हुए स्पष्ट किया गया है कि रोस्टर तैयार करने में दो निर्देशक सिद्धांतों को ध्यान में रखा गया है। पहला यह कि आरक्षित संवर्ग के कर्मचारियों की संख्या किसी भी स्थिति में उस संवर्ग के लिए निर्धारित प्रतिशत से अधिक न हो तथा दूसरा कुल आरक्षित पदों की संख्या कुल स्वीकृत पदों (कैडर स्ट्रेन्थ) के 50 प्रतिशत से अधिक न हो। इसी ऑफिस मेमोरेन्डम में 13 पदों तक कैडर स्ट्रेन्थ वाले पदों को 13 प्वाइंट रोस्टर के आधार पर भरने तथा इससे अधिक पदों को 200 प्वाइंट रोस्टर के आधार पर भरने का निर्देश दिया गया तथा साथ रोस्टर प्वाइंट के लिए गणना चार्ट भी जारी किया गया जो निम्नवत है।
सीधी भर्ती के लिए
खुली प्रतियोगिता के जरिए अखिल भारतीय स्तर पर सीधी भर्ती हेतु पदों के आलोक में आरक्षण का मॉडल रोस्टर
पद क्रम | हिस्सेदारी | श्रेणी जिसके लिए पद आरक्षित | |||
---|---|---|---|---|---|
अनुसूचित जाति@15% | अनुसूचित जनजाति@7.5% | अन्य पिछड़ा वर्ग@27% | आर्थिक आधार पर पिछड़े@10% | ||
1. | 0.15 | 0.08 | 0.27 | 0.10 | अनारक्षित |
2. | 0.30 | 0.15 | 0.54 | 0.20 | अनारक्षित |
3. | 0.45 | 0.23 | 0.81 | 0.30 | अनारक्षित |
4. | 0.60 | 0.30 | 1.08 | 0.40 | ओबीसी-1 |
5. | 0.75 | 0.38 | 1.35 | 0.50 | अनारक्षित |
6. | 0.90 | 0.45 | 1.62 | 0.60 | अनारक्षित |
7. | 1.05 | 0.53 | 1.89 | 0.70 | अनुसूचित जाति -1 |
8. | 1.20 | 0.60 | 2.16 | 0.80 | ओबीसी – 2 |
9. | 1.35 | 0.68 | 2.43 | 0.90 | अनारक्षित |
10. | 1.50 | 0.75 | 2.70 | 1.00 | आर्थिक आधार पर पिछड़े – 1 |
11. | 1.65 | 0.83 | 2.97 | 1.10 | अनारक्षित |
12. | 1.80 | 0.90 | 3.24 | 1.20 | ओबीसी – 3 |
13. | 1.95 | 0.98 | 3.51 | 1.30 | अनारक्षित |
14. | 2.10 | 1.05 | 3.78 | 1.40 | अनुसूचित जनजाति – 1 |
15. | 2.25 | 1.13 | 4.05 | 1.50 | अनुसूचित जाति – 2 |
16. | 2.40 | 1.20 | 4.32 | 1.60 | ओबीसी – 4 |
17. | 2.55 | 1.28 | 4.59 | 1.70 | अनारक्षित |
18. | 2.70 | 1.35 | 4.86 | 1.80 | अनारक्षित |
19. | 2.85 | 1.43 | 5.13 | 1.90 | ओबीसी-5 |
20. | 3.00 | 1.50 | 5.40 | 2.00 | अनुसूचित जाति -3 |
इसी चार्ट के आधार पर 13 प्वाइंट रोस्टर तथा 200 प्वाइंट रोस्टर तैयार किया गया। इस चार्ट को देखने से स्पष्ट है कि यह रोस्टर 2 जुलाई 1997 से पूर्व के रोस्टर से भिन्न है। वैकेन्सी बेस्ड रोस्टर में प्रथम पद आरक्षित संवर्ग को दिया जाता था जबकि इस रोस्टर में प्रथम तीन पद अनारक्षित रखा गया है। पिछले रोस्टर में यदि एक पद रिक्त है तथा उसकी कैडर स्ट्रेन्थ भी एक पद ही है तो भी वह पद आरक्षित संवर्ग से भरा जाता था। इस रोस्टर में प्रथम तीन पद अनारक्षित रखा गया है अर्थात् यदि किसी कैडर में तीन पद तक की स्ट्रेन्थ तक आरक्षण लागू नहीं होगा। 4 पदों की कैडर स्ट्रेन्थ तक एक पद अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित होगा तथा 13 पद तक की कैडर स्ट्रेन्थ में एक पद अनुसूचित जाति व तीन पद अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित होगा जबकि अनुसूचित जनजाति संवर्ग के लिए एक भी पद नहीं मिलेगा। इस प्रकार 200 कैडर स्ट्रेन्थ में 30 पद अनुसूचित जाति, 54 पद अन्य पिछड़े वर्ग तथा 15 पद अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित होंगे। प्राथमिकता अनारक्षित संवर्ग दी जायेगी जबकि पुराने रोस्टर में प्राथमिकता आरक्षित संवर्ग को दी जाती थी। इसे इस प्रकार भी समझ सकते हैं। यदि किसी कैडर में 200 पद स्वीकृत हैं तो सभी संवर्गों का आरक्षण प्रतिशत पूरा होगा। यदि 199 पद है तो अन्य पिछड़े वर्ग को 1 पद कम मिलेगा, यदि 198 पद हैं तो अनुसूचित जाति को 1 पद कम मिलेगा और यदि 197 पद है तो अनुसूचित जनजाति को एक पद कम मिलेगा। अर्थात् कैडर स्ट्रेन्थ यदि 197 है तो अनुसूचित जाति को 29 पद, जनजाति को 14 पद तथा अन्य पिछड़े वर्ग को 53 पद मिलेंगे जबकि पुराने रोस्टर के अनुसार 197 की कैडर स्ट्रैन्थ पर अनुसूचित जाति-30, अनुसूचित जनजाति- 15 और अन्य पिछड़ा वर्ग-54 पद मिलते थे। पोस्ट बेस्ड रोस्टर में आरक्षित संवर्ग के कर्मचारियों का प्रतिशत 49.5 प्रतिशत से कभी भी अधिक नहीं हो सकता है।
अब 13 प्वाइंट रोस्टर को समझते हैं। इस रोस्टर का निर्माण भी उसी गणना चार्ट के आधार पर होगा। हम चार्ट में देख सकते हैं कि चौथा, आठवां और बारहवां पद अन्य पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित है जबकि सातवां पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। इसका अर्थ यह है कि 13 पदों तक की कैडर स्ट्रेन्थ पर पोस्ट बेस्ड रोस्टर लगाया जाय तो तीन पदों वाले कैडर स्ट्रेन्थ में आरक्षण लागू नहीं होगा। चार पदों वाले कैडर स्ट्रेन्थ में एक पद अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित होगा तथा 3 पद अनारक्षित होगा। इस प्रकार 13 पदों वाले कैडर स्ट्रेन्थ में 3 पद अन्य पिछड़े वर्ग के लिए, 1 पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होंगे जबकि 9 पद अनारक्षित होंगे। अनुसूचित जनजाति के लिए शून्य पद बनेगा अर्थात् अनुसूचित जनजाति इस रोस्टर में एक भी पद नहीं पायेगा। इस विसंगति को दूर करने के लिए 13 पदों तक की कैडर स्ट्रेन्थ पर एल-शेप रोस्टर की अवधारणा प्रस्तुत की गयी, जो निम्नवत है।
इस रोस्टर में हम देख सकते हैं कि प्रारंभिक भर्ती (इनीशियल) में अनुसूचित जनजाति को एक भी पद नहीं मिल रहा है। इसके पश्चात प्रथम चक्र की भर्ती में यदि सभी पद अर्थात् 13 पद रिक्त हो जाते हैं, जो व्यवहार में कभी संभव नहीं होगा, तो 13वां पद अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित होगा। इसी प्रकार अगले भर्ती चक्र में यदि 12 पद रिक्त होते हैं तो 12 वां पद अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित होगा। इस प्रकार यह चक्र बढ़ता जायेगा। व्यवहारिक धरातल पर इस रोस्टर को परखने से स्पष्ट हो रहा है कि 26वां पद अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हो पा रहा है जबकि सीधा 200 प्वाइंट रोस्टर लगाने पर 14वां पद ही अनुसूचित जनजाति को मिल जायेगा।
अब प्रश्न उठता है कि जब 13 पदों तक अनुसूचित जनजाति को एक भी पद नहीं मिल पा रहा है तथा 14 पदों तक का रोस्टर बनाने पर 14वां पद अनुसूचित जनजाति को मिल रहा है तो कैडर स्ट्रेन्थ को 13 पद तक सीमित क्यों रखा गया। जबकि आर.के.सभरवाल वाले केस में भी 13 पदों तक रोस्टर सीमित करने का कोई दिशा निर्देश नहीं है। यहां यह भी जानना दिलचस्प होगा कि 15वा पद अनुसूचित जाति के लिए तथा 16वां पद अन्य पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित है। 13 प्वाइंट रोस्टर बनाने का कहीं यह कारण तो नहीं कि 14वां, 15वां और 16वां तीनों पर आरक्षित संवर्ग को चले जायेंगे जबकि एल-शेप 13 प्वाइंट रोस्टर में 14वां और 15वां पद अनारक्षित संवर्ग के पास रहेंगे। कारण चाहे जो हो, 200 प्वाइंट रोस्टर यदि संविधान के साथ धोखा है तो 13 प्वाइंट रोस्टर भी संविधान के साथ धोखा है। साथ ही गणितीय जालसाजी का भी उत्कृष्ट उदाहरण है।
(कॉपी संपादन : इमामुद्दीन/एफपी डेस्क)
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