बीते 22 अक्टूबर 2018 को झारखंड हाई कोर्ट ने पलामू जिले के बकोरिया कांड की सीबीआइ से जांच के आदेश दिया है। इस मामले में 12 अादिवासियों की हत्या फर्जी मुठभेड़ के नाम पर कर दी गयी थी। राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) डी.के. पांडेय इस मामले में मुख्य आरोपियों में एक हैं। मृतकों में 5 नाबालिग थे। मामले की सुनवाई जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय ने की। उन्होंने राज्य सरकार को इस मामले की जांच सीबीआइ से कराने का निर्देश दिया।
हाई कोर्ट का फैसला आते ही डीजीपी डी.के. पांडेय छुट्टी पर चले गये हैं। इस मामले में झारखंड पुलिस ने कुछ भी कहने से इंकार किया है।

हाई कोर्ट का फैसला आते ही छुट्टी पर गये झारखंड के डीजीपी डी.के. पांडेय
उल्लेखनीय है कि 8 जून 2015 को पलामू के सतबरवा (बकोरिया) में कथित मुठभेड़ में मारे गए कथित 12 नक्सलियों की सनसनीखेज खबर मीडिया में पुलिस की जांबाजी के रूप में सुर्खियों में रही। तब इसका श्रेय डी. के. पांडेय ने लिया था। हालांकि इसका खुलासा तब हुआ जब मृतकों के परिजन इस मामले को लेकर मानवाधिकार आयोग गये। आयोग ने प्रथम द्रष्ट्या मामले को संदिग्ध पाया और फिर इसकी जांच के आदेश दिये। हालांकि राज्य सरकार द्वारा आयोग के निर्देश को चुनौती दी गयी लेकिन झारखंड हाई कोर्ट ने बरकरार रखा।

झारखंड के पलामू जिले के बकोरिया में 8 जून 2015 को पुलिस द्वारा मारे गये लोगों की तस्वीर
बकोरिया कांड मामले में हाइकोर्ट द्वारा सीबीआइ से जांच कराने का अादेश का विपक्ष ने स्वागत किया है। पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने बकोरिया कांड में हाइकोर्ट द्वारा सीबीआइ जांच के लिए दिये गये फैसले का स्वागत किया, वहीं उन्होंने पुलिस महानिदेशक डी. के. पांडेय को तत्काल प्रभाव से हटाने की मांग की।
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वहीं झारखंड विकास मोर्चा के प्रमुख सह पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि दोषी व दागी अधिकारियों को दंडित करना राज्य सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए, लेकिन झारखंड में दोषियों को सरकार का खुला संरक्षण प्राप्त है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में डीजीपी, एडीजी सहित मुख्य सचिव रहीं राजबाला वर्मा जैसे तीन शीर्ष अधिकारियों से जुड़ा मामला सामने आया, मगर सरकार ने कोई कार्रवाई करना मुनासिब नहीं समझा। मरांडी ने कहा कि डीजीपी सवालों के घेरे में हैं और मुख्यमंत्री रघुबरदास के पास गृह मंत्रालय है। उन्होंने सवाल उठाया कि एमवी राव ने डीजीपी पर जब जांच धीमा करने का दबाव बनाने का सार्वजनिक आरोप लगाया, तब सीएम सह गृह मंत्री ने क्या कार्रवाई की? सरकार द्वारा अदालत में जो भी शपथ पत्र दायर किया गया है, उससे यह साफ है कि ये सभी मामले गृह विभाग से होकर ही गुजरा होगा।
इस मामले में भाकपा माले के राज्य सचिव जनार्दन प्रसाद ने बकोरिया कांड में हाइकोर्ट द्वारा सीबीआइ जांच का आदेश दिये जाने पर संतोष व्यक्त करते हुए घटना की हाइकोर्ट के सीटिंग जज की देखरेख में जांच कराने की मांग की है। उन्होंने कहा कि 8 जून 2015 को झारखंड पुलिस के आला अधिकारियों ने योजनाबद्ध ढंग से उग्रवादी संगठन जेजेएमपी के साथ मिलकर कई मासूम बच्चों की हत्या कर दी थी।
(कॉपी संपादन : एफपी डेस्क)
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It is not correct decision ordering fire shoot to naxalites without proper identification of their motives. It is a criminal action of police if they fire on innocent backward poor tribal villagers considering them terrorists.