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दलित-बहुजन समाज के नजरिए से वर्ष 2022 का लेखा-जोखा

वर्ष 2022 दलित-बहुजनों के लिए कई कारणों से मानीखेज रहा। इस साल आरक्षण को लेकर ऐतिहासिक बहस सुप्रीम कोर्ट में हुई। वहीं इस साल में भी दलित उत्पीड़न की अनेक घटनाएं सामने आयीं। अकादमियों में भी भेदभाव के मामले सामने आए। लेखा-जोखा बता रहे हैं सुशील मानव

कैलेंडर वर्ष 2022 बीत जाने को है। गुज़रे साल में दलित-बहुजन समाज, संस्कृति साहित्य और राजनीति में कई उतार चढ़ाव देखने को मिले। मसलन, 7 नवंबर, 2022 का दिन ऐतिहासिक रहा। इस दिन सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने आर्थिक आधार पर कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लिए दस फीसदी आरक्षण करने संबंधी वर्ष 2019 में संसद द्वारा पारित 103वें संविधान संशोधन को बरकरार रखा। पीठ ने इसे संविधानसम्मत माना। इस मामले में सुनवाई के बाद पांच न्यायाधीशों की खंडपीठ ने खंडित फैसला दिया। खंडपीठ के अध्यक्ष तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जस्टिस यू. यू. ललित और जस्टिस रवींद्र भट्ट ने इसके विरोध में फेसला दिया। वहीं जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी और जस्टिस जे.बी. पारदीवाला ने ईडब्ल्यूएस आरक्षण पर सहमति जताई है। इसके संबंध में सुप्रीम कोर्ट में दलित-बहुजनों का पक्ष रखनेवाले प्रो. जी. मोहन गोपाल ने फारवर्ड प्रेस के साथ विस्तृत बातचीत में इसके विभिन्न आयामों को सामने रखा और यह बताया कि ईडब्ल्यूएस किस तरह संविधान की मूल भावना के विरूद्ध है तथा इसके मायने क्या हैं।

 

वहीं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे मुलायम सिंह यादव का निधन इस साल की दुखद घटनाओं में शामिल रहा। गत 10 अक्टूबर, 2022 को उनका निधन हो गया। इसके अलावा गुज़रे साल में दलित-बहुजन समाज से जुड़ी प्रमुख घटनाअें पर एक नज़र।

राजनीतिक घटनाएं

जातिगत जनगणना कराने की मांग पूरे साल गूंजती रही। जातिगत जनगणना कराने के लिए बिहार सरकार द्वारा एलान के बाद अब केंद्र पर भी दबाव बनने लगा। 13 दिसंबर, 2022 को केंद्र सरकार ने सदन में एक सवाल के जवाब में बताया कि बिहार, महाराष्ट्र और ओडीशा तथा कुछ संगठनों ने जातिगत जनगणना के लिये अनुरोध किया है। यह जानकारी लोकसभा में ए. गणेशमूर्ति के प्रश्न के लिखित जवाब में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने दी।

इससे पहले बिहार में जातिगत जनगणना को लेकर 1 जून, 2022 को नीतीश कुमार की अध्यक्षता में एक सर्वदलीय बैठक में सर्वसम्मति से फैसला लिया गया। 7 जनवरी, 2023 से आरम्भ होने वाली जातिगत जनगणना करने वाली टीम के सदस्यों की 15 दिसंबर, 2022 से ट्रेनिंग भी शुरु की गयी। जातिगत जनगणना में लोगों से सरकार कुल 26 सवाल पूछेगी। गौरतलब है कि भारत में हर 10 साल में एक बार जनगणना की जाती है। इससे सरकार को विकास योजनाएं तैयार करने में मदद मिलती है। किस तबके को कितनी हिस्सेदारी मिली, कौन हिस्सेदारी से वंचित रहा, इन सब बातों का पता चलता है।

दलित-बहुजन समाज के लिये राजनीतिक दृष्टि से यह साल बहुत उतार-चढ़ाव वाला रहा। साल की शुरुआत में उत्तर प्रदेश में हुये विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के बावजूद समाजवादी पार्टी सत्ता में नहीं आ सकी। वहीं बहुजन समाज पार्टी का प्रदर्शन उम्मीद से बेहद खराब रहा। दलित-पिछड़े समाज की कई जातिगत पार्टियां भाजपा के साथ चली गई और इसका भाजपा को प्रत्यक्ष फायदा पहुंचा।

द्रौपदी मुर्मू, मुलायम सिंह यादव, जस्टिस यू.यू. ललित, सूर्यकुमार यादव व प्रिया सिंह मेघवाल

इसी साल 25 जुलाई, 2022 को आदिवासी समाज से ताल्लुक रखने वाली द्रौपदी मुर्मू देश की 15वीं राष्ट्रपति बनीं। उन्होंने रामनाथ कोविंद का स्थान लिया। 

9 अगस्त 2022 को बिहार में हुये राजनीतिक घटनाक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाजपा से राजनीतिक नाता तोड़ते हुये इस्तीफा दे दिया। इसके बाद राजद-जदयू महागठबंधन सरकार बनी। नीतीश कुमार मुख्यमंत्री और तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री बने। 

25 अगस्त, 2022 को निर्वाचन आयोग ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश राज्यपाल को भेजी। चुनाव आयोग ने पद का उपयोग व्यक्तिगत लाभ के लिए करने संबंधी आरोपों पर अपनी राय भेजी। दरअसल, हेमंत सोरेन पर झारखंड का मुख्यमंत्री रहते खनन पट्टा खुद को और अपने भाई को जारी करने का आरोप है। उस वक्त हेमंत सोरेन पर खनन मंत्रालय भी थी। ईडी ने खनन सचिव पूजा सिंघल को मनी लॉन्ड्रिंग के केस में गिरफ्तार किया था, पूजा ने ही खनन का लाइसेंस जारी किया था।

5 अक्टूबर 2022 को अशोक विजय दशमी और धम्म चक्र प्रवर्तन दिवस के मौके पर दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार में कैबिनेट मंत्री राजेंद्र पाल गौतम दिल्ली में बौद्ध धर्म के ‘सामूहिक धार्मिक रूपांतरण’ में शामिल हुये। यह कार्यक्रम बी.आर. अंबेडकर द्वारा स्थापित बुद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में सैकड़ों लोगों ने बौद्ध धर्म अपनाने की शपथ ली। इस कार्यक्रम में 14 अक्टूबर 1956 को डॉ. आंबेडकर द्वारा हिंदू धर्म के त्याग और बौद्ध धम्म ग्रहण करने के दौरान ली गई 22 प्रतिज्ञाओं को दोहराया गया। राजेंद्र पाल गौतम ने भी इन प्रतिज्ञाओं को दोहराया। जैसे ही इस कार्यक्रम का वीडियो वायरल हुआ, राजेंद्र पाल गौतम भाजपा नेताओं के निशाने पर आ गए। राजपाल गौतम के इस कदम से आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल की छद्म गैर-हिंदूवादी राजनीति को झटका लगा। अतः 9 अक्टूबर, 2022 को राजेंद्र पाल गौतम से इस्तीफा ले लिया गया। 

26 नवंबर, 2022 को एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आरोपी सामाजिक कार्यकर्ता आनंद तेलतुंबडे को नवी मुंबई स्थित तलोजा जेल से रिहा कर दिया गया। 18 नवंबर को उच्च न्यायालय ने समाजिक कार्यकर्ता, स्कॉलर आनंद तेलतुंबडे को जमानत दे दी। उन्हें एनआईए के समक्ष आत्मसमर्पण करने के बाद 14 अप्रैल, 2020 को गिरफ्तार किया गया था। तेलतुंबडे इस मामले में गिरफ्तार किये गये 16 लोगों में तीसरे ऐसे आरोपी हैं, जिन्हें जमानत पर रिहा किया गया है। कवि वरवर राव फिलहाल स्वास्थ्य आधार पर जमानत पर हैं। जबकि सुधा भारद्वाज नियमित जमानत पर हैं।

यह मामला पुणे में 31 दिसंबर, 2017 को हुए एल्गार परिषद के सम्मेलन में कथित रूप से भड़काऊ भाषण से जुड़ा है। पुलिस का दावा है कि इसी भाषण के चलते पश्चिमी महाराष्ट्र के इस शहर के करीब भीमा-कोरेगांव युद्ध स्मारक के पास अगले दिन हिंसा भड़की थी।

19 अक्टूबर 2022 को मल्लिकार्जुन खड़गे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गये। मल्लिकार्जुन खड़गे दलित समाज से आते हैं। खड़गे ने सीधे मुकाबले में शशि थरूर को भारी मतों से हराया। मल्लिकार्जुन खड़गे को 7897 वोट मिले, जबकि शशि थरूर को महज 1072 वोट मिले। 

साल के अंत में 27 दिसंबर, 2022 को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने उत्तर प्रदेश में होनेवाले निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण के संबंध में अहम फैसला सुनाया। अदालत ने बिना ओबीसी आरक्षण के ही 31 जनवरी, 2023 तक चुनाव कराने का आदेश राज्य सरकार को दिया। इस मामले में राज्य सरकार ने पांच सदस्यीय आयोग का गठन कर दिया ताकि राज्य में ओबीसी के आंकड़ों का ट्रिपल टेस्ट हो। साथ ही सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष पुनरीक्षण याचिका दायर किया है।

समाजिक घटनाएं

राजस्थान के जालोर के सुराणा गांव 9 साल के दलित छात्र की मौत हो गई। परिजनों का आरोप था कि स्कूल संचालक छैल सिंह ने उनके बेटे इंद्र की पिटाई सिर्फ़ इसलिए कर दी थी, क्योंकि वो दलित था और उसने स्कूल में रखे मटके को छू लिया था। टीचर छैल सिंह ने बच्चे की पिटाई की थी, पिटाई से उसके कान की नस फट गई और बाद में अस्पताल में उसकी मौत हो गई। वहीं स्कूल के स्टाफ का कहना था कि वहां कोई पानी का मटका रखा ही नहीं था और दो छात्रों के बीच हुए झगड़े को सुलझाने के लिए टीचर ने छात्र को सामान्य सजा दी थी। घटना 20 जुलाई, 2022 को हुई थी। मृतक छात्र इंद्र सुराणा गांव के सरस्वती विद्या मंदिर स्कूल में तीसरी क्लास का छात्र था। 

अस्पृश्यता का दंश सिर्फ़ राजस्थान तक सीमित नहीं रहा, इस मामले में उत्तर प्रदेश भी पीछे नहीं रहा। 30 सितंबर, 2022 को उत्तर प्रदेश के जिला प्रतापगढ़ पट्‌टी थाना क्षेत्र के उड़ैयाडीह में दुर्गा पंडाल सजा हुआ था। जजनीपुर गांव निवासी जगरूप गौतम 30 सितंबर को उसी पंडाल में गया था। जगरूप दलित हैं, तो उन्होंने माता का पैर कैसे छू लिया। वहां मौके पर मौजूद कुलदीप, संदीप और मुन्ना पाल ने उनको हाथों से, लातों से और डंडे से खूब पीटा। इसके बाद अधमरी हालत में उन्हें घर पर छोड़ गए। उस समय घर पर कोई नहीं था। अगले दिन 1 अक्टूबर, 2022 को परिजन उनकी खराब हालत को देखकर गांव के बंगाली डॉक्टर को बुलाकर ले आया। डॉक्टर ने उन्हें देखकर दवा दी और इंजेक्शन लगाया। 2 अक्टूबर, 2022 को उनकी मौत हो गई। 

वहीं उत्तर प्रदेश में दलित लड़कियों संग रेप व हत्या जैसे संगीन अपराधों का सिलसिला चलता रहा। 14 सितंबर, 2022 को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में दलित जाति की दो नाबालिग बहनों की रेप के बाद हत्या करके उनकी लाशों उनके दुपट्टे से बांधकर पेड़ में लटका दिया गया। बाद में पुलिस ने कार्रवाई करते हुये 6 आरोपितों को गिरफ्तार किया था। 

25 अक्टूबर, 2022 को मध्य प्रदेश के दमोह में देवरान ग्राम में मंगलवार सुबह साढ़े छह बजे घर की बहू को घूरने के आरोप में दबंग जगदीश पटेल के परिवार के छह लोगों ने घमंडी परिवार के तीन लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी। मरने वालों में घमंडी अहिरवाल, उसकी पत्नी रामप्यारी, उनके बेटे मानक लाल अहिरवाल की मौके पर ही मौत हो गई। उनके अन्य बेटों महेश अहिरवाल और बबलू अहिरवाल को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया। 

उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के रिक्खीपुरवा गांव की दलित महिला प्रधान विमला देवी को पड़ोसी गांव के ठाकुरों द्वारा 13-14 अगस्त, 2022 को दौड़ा दौड़कर पीटा गया क्योंकि उन्होंने योगी सरकार की योजना के तहत गौशाला बनाने के लिए ग्राम समाज की ज़मीन पर गैर कानूनी रूप से क़ाबिज़ उन सामन्तवादियों को हटाया था। इसकी प्राथमिकी दर्ज करवाने के लिए विमला देवी और गांव के लोग 14 अगस्त, 2022 को गये तो थानेदार ने उल्टा गांव वालों पर ही लाठीचार्ज कर दिया और दर्जनों दलित गांव वालों को पकड़कर थाने में डाल दिया।

जिला पंचायत सदस्य व भाकपा (माले) के स्टैंडिंग कमेटी सदस्य अर्जुन लाल जब हरगाँव थाने में अपने गांव के लोगों की जमानत कराने गए तो थाना प्रभारी बृजेश त्रिपाठी ने उनके साथ न सिर्फ मारपीट किया बल्कि झूठा केस बनाकर उनको 15 अगस्त, 2022 को जेल भेज दिया, और प्रधान से मारपीट करने वाले दबंग खुलेआम घूमते रहे। अर्जुनलाल के समर्थन में जब ऐपवा नेता सरोजिनी महिलाओं के साथ थाने गयीं तो थाना इंचार्ज ने उनके हाथ से राष्ट्रीय झंडा छीन लिया और कहा कि तुम इस झंडे को पकड़ने के लायक नहीं हो। 18 अगस्त, 2022 की रात ग्राम प्रधान के घर से लगभग 300 मीटर दूरी स्थित गांव के आंबेडकर पार्क में स्थित आंबेडकर की प्रतिमा से सिर अलग करके ज़मीन पर फेंक दिया गया। बता दें कि जिस रात इस करतूत को अंजाम दिया गया था उस दौरान (14-26 अगस्त, 2022) ब्लॉक में धरना चल रहा था जिसमें रिक्खीपुरवा गांव के दर्जनों लोग भी लगातार शामिल हो रहे थे। तभी वहां पहुंचे ब्राह्मण थानेदार ने दलित कार्यकर्ताओं को अभद्र लैंगिक व जातिसूचक गालियां देते हुए पूछा कि तुम्हारा नेता कौन है और उनसे अर्जुन लाल का मोबाइल नंबर लेकर उन्हे फोन कॉल पर जातिसूचक गालियां दिया। और धमकाते हुये कहा कि उन्हें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने भेजा है दलितों की नेतागीरी को खत्म करने के लिये। जो भी दलित नेता हैं उनको मिटा देने के लिये। ऐसी तमाम धमकियां वो दिए और कहा कि अगर आगे से कोई धरना-प्रदर्शन करोगे, सीतापुर जिले में कहीं भी बैठोगे, तो जेल भेज दिया जायेगा, आपके परिवार को तबाह कर दिया जायेगा। आपको मिटा दिया जायेगा, जान से मार दिया जायेगा।

साहित्यिक घटनाएं 

साल जाते जाते 29 दिसंबर, 2022 को डॉ. गंगा सहाय मीणा को राजस्थान साहित्य अकादमी का सदस्य बनाया गया। 

दलित लेखक संघ ने इस साल अपनी स्थापना के 25 वर्ष पूरे कर लिये। इस अवसर पर दिल्ली में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। अनीता भारती इसकी वर्त्तमान अध्यक्ष हैं। जबकि दलेस के पहले अध्यक्ष सूरजपाल चौहान थे। 

बच्चा लाल ‘उन्मेष’ की एक कविता ‘कौन जात हो भाई’ फेसबुक के मालिकाना वाले इंस्टाग्राम पर वायरल हुई और आधे घंटे में हटा दिया गया। इसके बाद यह कविता यूट्यूब, ट्वीटर और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया पर वायरल हुई। इस कविता के बहाने लोगों ने जातिवाद पर बहस मुबाहिसा किया। इस साल उनके कविता संग्रह ‘छिछले प्रश्न गहरे उत्तर’ और ‘कौन जात हो भाई’ शीर्षक से छपकर आया। 

धर्मवीर यादव ‘गगन’ के संपादन में पेरियार ललई सिंह ग्रंथावली राजकमल प्रकाशन से पांच खंडों में छपकर आयी। गौरतलब है कि ललई सिंह यादव समाजिक कार्यकर्ता थे जिन्होने सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष किया और सामाजिक न्याय के अपने लक्ष्य के लिए अनेक पुस्तकों की रचना की जो अत्यंत ही चर्चित रहीं। ललई सिंह को उत्तर भारत का ‘पेरियार’ कहा जाता है।

कन्नड़ लेखक और उपन्यासकार देवनूर महादेवा की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर लिखी किताब ‘आरएसएस आला, अगला’ पर बखेड़ा खड़ा किया गया। इस किताब की 40,000 से अधिक प्रतियां बिक चुकी हैं। देवनूर महादेवा की हालिया प्रकाशित ‘आरएसएस: आला मट्टू अगला’ एक पतली सी 75 पृष्ठों की किताब है, जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की विचारधारा पर एक आलोचनात्मक नज़रिया डालती है। इस किताब ने कन्नड़ में प्रकाशन मॉडल को भी नया रूप दिया है, जिससे इस क्षेत्र में एक नया उत्साह पैदा हुआ है। दरअसल इस किताब ने बिक्री में पिछले दो सालों में महामारी के बाद बाजी मार ली है। महादेवा की किताब को अब तक छह प्रकाशकों ने निकाला है और इसकी कीमत 40 रुपए रखी है।

अकादमिक घटनाएं 

इस साल देश के तमाम अकादमिक संस्थानों में दलित-बहुजन अध्यापक जातिवादी व्यवस्था और सत्ता संरक्षित संगठनों के निशाने पर रहे। सबसे ज़्यादा दुखदायी और गुस्सा दिलाने वाला मामला जम्मू यूनिवर्सिटी का रहा, जहां 7 सितंबर, 2022 को मनोविज्ञान विषय के प्रो. चंद्रशेखर यूनिवर्सिटी के अपने कमरे में मृत मिले। सामने बोर्ड पर उनकी हैंडराइटिंग में लिखा था– “सब सच है क्योंकि, कहानी ही झूठी है’ और जेब में टर्मिनेशन का लेटर पड़ा था, जिस पर रजिस्ट्रार साहेब के खंजरनुमा हस्ताक्षर चमक रहे थे।” चंद्रशेखर दलित थे। वह जम्मू विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफ़ेसर थे और 30 सितंबर को विभागाध्यक्ष बनने वाले थे। उनके प्रमोशन से विभाग के कुछ लोग खुश नहीं थे। दरअसल यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट किसी और को विभागाध्यक्ष बनाना चाहता था। इसलिए उनके ख़िलाफ़ सेक्सुअल हैरेसमेंट का आरोप लगाया गया और जांच में उनका पक्ष तक नहीं सुना गया। न ही उन्हें सफाई का कोई मौका दिया गया और टर्मिनेट कर दिया गया।

29 सितंबर, 2022 को महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ विश्वविद्यालय, वाराणसी में राजनीति विज्ञान के अतिथि अध्यापक डॉ. मिथिलेश गौतम को बर्खास्त कर दिया गया। उन्हें यह सजा 28 सितंबर को फेसबुक पर उनके द्वारा की गई एक टिप्पणी पर दिया गया जिसमें उन्होंने नवरात्र के दौरान दुर्गा पाठ के बजाय संविधान का पाठ करने की सलाह दी थी। उन्होंने अपने फेसबुक एकाऊंट के वॉल पर एक पोस्ट में लिखा– “महिलाओं के लिए नवरात्र के दौरान नौ दिनों का व्रत रखने के बजाय भारत के संविधान और हिंदू कोड बिल को पढ़ना बेहतर है। उनका जीवन भय और ग़ुलामी से मुक्त होगा। जय भीम।” 

20 मई, 2022 को दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रतनलाल को धार्मिक भावनायें भड़काने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। हालांकि अगले ही दिन तीस हाजरी कोर्ट ने उन्हें 50 हजार के निजी मुचलके पर जमानत दे दी। दरअसल ज्ञानवापी मस्जिद में वजू के लिये लगे फव्वारे को शिवलिंग बताये जाने के बीच उन्होंने कहा था कि शिवलिंग का खतना हुआ है। प्रोफेसर डॉ. रतनलाल के खिलाफ़ सुप्रीम कोर्ट के वकील विनीत जिंदल ने दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। जानकारी के मुताबिक प्रोफेसर रतन लाल के खिलाफ उत्तरी दिल्ली के मोरिस नगर साइबर सेल थाने में धारा 153 ए और 295 ए के तहत मामला दर्ज किया गया था। जान से मारने की धमकी और एफआईआर के बाद प्रोफेसर रतन लाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर अपनी सुरक्षा के लिए एके-56 का लाइसेंस देने की मांग की थी। 

18 मई 2022 को कार्तिक पांडेय (एम.ए. प्रथम वर्ष द्वितीय सेमेस्टर, संस्कृत) ने लखनऊ यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रविकांत पर जानलेवा हमला किया, और उन्हें थप्पड़ मारे। इससे पहले 10 मई, 2022 को एबीवीपी के छात्रों ने प्रो. रविकांत को प्रॉक्टर ऑफिस में घेरकर उनके खिलाफ़ नारेबाज़ी की। 

एक खुश्खबरी तब मिली जब 6 अक्टूबर, 2022 को प्रोफ़ेसर कौशल पंवार को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के मानविकी विभाग का डायरेक्टर नियुक्त किया गया। 

खेल जगत में दलित-बहुजन

18 दिसंबर, 2022 को राजस्थान की पहली महिला बॉडी बिल्डर प्रिया सिंह मेघवाल ने थाईलैंड में हुई 39वीं अंतर्राष्ट्रीय महिला बॉडी बिल्डिंग प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीतकर राजस्थान और देश का नाम रोशन किया है। थाईलैंड के पटाया में 18 दिसंबर को प्रिया सिंह ने गोल्ड मेडल जीता। लेकिन उन्हें मीडिया, समाज और सरकार द्वारा उस तरह सम्मानित नहीं किया गया जिसकी वो हक़दार थी। 

वहीं भारतीय क्रिकेट टीम में जगह पाने के बाद बल्लेबाज सूर्य कुमार यादव नई बुलंदियों को छू रहे हैं। वो अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद की बल्लेबाजों की रेटिंग में नंबर एक रैंक पर क़ाबिज़ हैं। बता दें कि हाल ही में संपन्न हुए टी-20 मैचों में सूर्य कुमार यादव ने अपने 360 डिग्री क्रिकेटीय शॉट्स से क्रिकेट के पंडितों को दांतों तले अंगुली दबाने को विवश कर दिया। 

(संपादन : नवल/अनिल)


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लेखक के बारे में

सुशील मानव

सुशील मानव स्वतंत्र पत्रकार और साहित्यकार हैं। वह दिल्ली-एनसीआर के मजदूरों के साथ मिलकर सामाजिक-राजनैतिक कार्य करते हैं

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